टिकट तो मिल गया, लेकिन स्थानीय कांग्रेसियों से सामंजस्य बिठाकर चुनाव लडऩा चुनौती साबित होगा
इंदौर। संजीव मालवीय। भाजपा (BJP) से कांग्रेस (Congress) में गए कई नेताओं को कांग्रेस ने टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया है, लेकिन अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज इन नेताओं को स्थानीय कांगे्रसियों से सामंजस्य बिठाकर चुनाव लडऩा चुनौती साबित होगा। भंवरसिंह शेखावत, दीपक जोशी और रामकिशोर शुक्ला (Bhanwarsingh Shekhawat, Deepak Joshi and Ramkishore Shukla) जैसे नेताओं के सामने तो इस बार अपने राजनीतिक कैरियर के जीवन-मरण तक का प्रश्न बन गया है। अगर ये जीते तो ही इनका राजनीतिक पुनर्वास संभव है, वरना कांग्रेस पार्टी भी इन्हें भूला सकती है। एक अन्य इंदौरी नेता समंदर पटेल को भी पार्टी ने जावद से मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के सामने उतारा है जो पहले कांग्रेस में थे फिर भाजपा में चले गए और अब फिर कांग्रेस में हैं। एक तरह से राजेश सोनकर भी दांवपर लगे है, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर नेता सज्जन वर्मा से हैं।
बदनावर विधानसभा-1957 में अस्तित्व में आई इस विधानसभा में 2003 और 2008 में राजवर्धनसिंह दत्तीगांव कांग्रेस से विधायक रहे। 2013 में यहां से भंवरसिंह शेखावत जीते और उसके बाद फिर 2018 में राजवर्धनसिंह ने शेखावत से ये सीट छीन ली। 2020 में हुए उपचुनाव में यहां से कांग्रेस ने कमलसिंह पटेल को उतारा था, लेकिन वे 32 हजार 133 वोट से भाजपा में शामिल हुए राजवर्धनसिंह से हार गए। वैसे इस सीट का कांग्रेसी मिजाज रहा है, लेकिन दत्तीगांव चूंकि कांग्रेस से ही आए थे, इसलिए उन्हें जीत मिली। अब कांग्रेस ने यहां से भंवरसिंह शेखावत को उतारा है। अगर उन्हें कांग्रेसियों और अपने पुराने भाजपाइयों का साथ मिलता है तो इस सीट पर वे राजवर्धन के लिए चुनौती साबित होंगे।
खातेगांव सीट-पूर्व मंत्री दीपक जोशी हाटपिपलिया से टिकट चाहते थे, लेकिन उन्हें पार्टी ने खातेगांव से चुनावी मैदान में उतारा है। खातेगांव सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है। पिछले चुनाव में शर्मा को यहां से 71 हजार 984 वोट मिले थे और यहां से कांग्रेस के ओम पटेल को 63 हजार 272 वोट मिले थे। शर्मा 7772 वोटों से चुनाव जीत गए थे। अब शर्मा एक बार फिर यहां से उम्मीदवार हैं और जोशी को उम्मीद है कि कांग्रेसी उनके साथ हैं और वे इस सीट को भाजपा से छीन सकते हैं।
जावद विधानसभा-हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए समंदर पटेल को यहां से पार्टी ने टिकट दिया है। समंदर कुछ दिनों पहले तक भाजपा में थे, लेकिन वे कांग्रेस में आ गए। यहां कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का अंतर मात्र 4 हजार 271 है और इसे पाटना वे कोई चुनौती नहीं मानते हैं। हालांकि उनके सामने मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा जैसा चेहरा है।
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