जयपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Former Chief Minister Ashok Gehlot) ने कहा कि भजनलाल सरकार (Bhajanlal Government) बेरोजगारी भत्ते के बिलों के भुगतान को लेकर (Regarding payment of Unemployment Allowance Bills) सवालों के घेरे में है (Is under Question) । पेपरलीक और बेरोजगारी के मुद्दे पर सत्ता में आई भजनलाल सरकार में प्रदेश के युवा बेरोजगार के भत्ते के लिए ही तरस रहे हैं । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मौजूदा भजनलाल सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने बेरोजगारी भत्ता रोक दिया है। इस मुद्दे पर सरकार को सोशल मीडिया पर भी भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट कर आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने बेरोजगारी भत्ते के बिलों को रोक रखा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त से ही वित्त विभाग ने बेरोजगारी भत्ते के बिल रोक लिए थे, जो अब तक पेंडिंग चल रहे हैं। गहलोत ने लिखा : “राजस्थान में हमारी सरकार के दौरान युवाओं को 4500 रु महीने तक का बेरोजगारी भत्ता देना शुरू किया गया था जो उनके लिए बड़ा संबल होता है। मुझे बहुत सारे युवाओं ने बताया है कि बीते कई महीनों से उन्हें बेरोजगारी भत्ता नहीं मिल रहा है जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने में परेशानी आ रही है।” गहलोत के आरोप के अनुसार, वित्त विभाग ने न केवल बेरोजगारी भत्ते के बिल रोके हैं, बल्कि पंचायतों को मिलने वाली ग्रांट, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, आरजीएचएस के भुगतान और आरटीई जैसी अहम योजनाओं के भुगतान भी रोक रखे हैं। इससे जनता में नाराजगी बढ़ रही है और यह नई सरकार के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मुद्दे पर सरकार को झूठ बोलने और विपक्ष को गाली देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि छह महीने से अधिक समय हो गया है और अब सरकार का कोई विजन ही नहीं है। पूर्व मंत्री अशोक चांदना ने भी इस बारे में कहा कि उनकी सरकार में आचार संहिता लगने तक बेरोजगारी भत्ते के सारे बिल क्लीयर किए गए थे। धर्मपाल मीणा, निदेशक, रोजगार निदेशालय, ने कहा कि स्कीम चालू है और बिल बनाकर वित्त विभाग को भेजे जा चुके हैं, लेकिन ईसीएस पेंडिंग है।
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