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    पहली बार दिखाएंगे भगोरिया, कई लोगों ने बुकिंग कराई

  • March 18, 2024

    मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने उठाया आदिवासी संस्कृति दिखाने का बीड़ा…

    मध्यप्रदेश सहित गुजरात, महाराष्ट्र के लोग भी भगोरिया देखने के इच्छुक

    इंदौर। मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड (Madhya Pradesh Eco Tourism Development Board) ने पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति से रूबरू कराने के लिए वनमंडल आलीराजपुर में पहली बार ‘भगोरिया कैंपिंग’ का आयोजन किया है। बखतगढ़ में स्थानीय ईको पर्यटन समिति के साथ मिलकर इस कैंपिंग की शुरुआत आज से हो रही है, जो 24 मार्च तक चलेगी। मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने पहली बार इस तरह का कोई आयोजन किया है, जिसमें वे आने वाले पर्यटकों को भगोरिया और आदिवासी संस्कृति से सीधे रूबरू करवाएंगे।


    झाबुआ-आलीराजपुर जिले में भगोरिया की शुरुआत आज से हो रही है, जो 24 मार्च तक चलेगा। मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने बखतगढ़ में अपने रेस्ट हाउस के पास कैंपिंग स्थल लगाया है, जिसे ‘भगोरिया कैंपिंग’ का नाम दिया गया है। इसमें 14 टेंट लगाए गए हैं। एक टेंट में दो लोग रह सकते हैं। वनमंडल आलीराजपुर की वन समितियां इसका आयोजन भोपाल की ‘कठोतिया ईको पर्यटन समिति’ के साथ कर रही है, जो यहां इस कैंपिंग में आने वाले पर्यटकों को स्थानीय पारंपरिक व्यंजन जैसे दाल कचोरी, दाल पानिया, लहसुन की चटनी, मक्का की रोटी भी परोसेगी। पर्यटकों को भगोरिया तो दिखाया ही जाएगा, इसके अलावा यहां बोनफायर जैसी एक्टिविटी भी होगी। स्थानीय वन समितियां भी वहां की पारंपरिक संस्कृति से पर्यटकों को रूबरू करवाएंगी।

    ये है भगोरिया
    प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों खासतौर पर झाबुआ और आलीराजपुर जिले के गावों में होली से एक हफ्ते पहले से मनाए जाने वाले इस पर्व को देखने के लिए देश-विदेश से भी पर्यटक पहुंचते हैं। यह उत्सव आदिवासी लोक संस्कृति को दर्शाता है। यहां आदिवासी संस्कृति के साथ ही अब आधुनिक जीवन का भी संगम देखने को मिलता है। मूलरूप से भगोरिया एक हाट है, जहां सब मिलते हैं। यह उत्सव संगीत, नृत्य और रंगों के साथ मनाया जाता है। आदिवासी इलाकों में कई मेले लगते हैं और हजारों की संख्या में नौजवान युवक-युवतियां सज-संवरकर पारंपरिक पहनावे में इन मेलों में शिरकत करते हैं।

    गुजरात, महाराष्ट्र से भी हुई बुकिंग
    ये ‘भगोरिया कैंपिंग’ भले ही पहली बार आयोजित हो रही हो, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहे प्रचार-प्रसार के कारण मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों ने भी बुकिंग करवाई है और अब तक 16 से 20 लोगों की बुकिंग हो चुकी है। इसमें कई टूर ऑपरेटर भी मदद कर रहे हैं। स्थानीय वन समितियां को सशक्त करना भी इसका एक मकसद है। आलीराजपुर से बखतगढ़ की दूरी 41 किलोमीटर है, जहां से पहुंचा जा सकता है।

    2 तरह के पैकेज में हो रही बुकिंग
    मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने पर्यटकों को दो तरह के पैकेज दिए है। इसमें पहला पैकेज 24 घंटे के लिए है, जिसमें 1624 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क शामिल है। वहीं, दूसरा पैकेज डे पैकेज है, जो चुनने वालों को प्रति व्यक्ति 735 रुपए का शुल्क चुकाना होगा। भोजन के लिए 300 रुपए प्रति व्यक्ति देना होंगे। वहीं, नाश्ते का शुल्क 150 रुपए प्रति व्यक्ति रखा गया है।

    पहले मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग भी करता था व्यवस्था
    कई साल पहले तक मध्यप्रदेश का पर्यटन विभाग भी पर्यटकों को इन दोनों जिले की आदिवासी संस्कृति को भगोरिया के माध्यम से रूबरू करवाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने यह व्यवस्था बंद कर दी। अब मध्यप्रदेश ईको पर्यटन बोर्ड ने जो शुरुआत की है, वह कहां तक जाती है, यह देखना होगा। आलीराजपुर से नागरसिंह चौहान के कैबिनेट मंत्री (वन एवं पर्यावरण) बनाए जाने के बाद ये पहल की गई है।

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