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    सुबह के समय भद्राकाल, इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं

  • July 12, 2020


    सर्वार्थसिद्धि योग, श्रावणी नक्षत्र के संयोग में तीन अगस्त को मनेगा रक्षाबंधन का पर्व
    इंदौर। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन इस बार 3 अगस्त को कई शुभ संयोग में मनाया जाएगा। इस बार श्रावणी पूर्णिमा के साथ महीने का श्रावण नक्षत्र भी पड़ रहा है, इसलिए पर्व की शुभता और बढ़ जाती है। श्रावणी नक्षत्र का संयोग पूरे दिन रहेगा। हालांकि सुबह सवा सात बजे तक भद्रा रहेगा। भद्राकाल में पर्व मनाना शुभ नहीं है, इसलिए यह समय निकल जाने के बाद ही पर्व मनाएं। ज्योतिषियों के अनुसार रक्षाबंधन के पर्व पर इसके पूर्व में भी कई बार भद्रा की स्थिति बनी है।
    ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि 3 अगस्त को सुबह 7.15 बजे तक भद्राकाल की स्थिति बन रही है। इस काल में रक्षाबंधन का पर्व मनाना शुभ नहीं माना गया है। रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त सुबह 9 से 10.30 बजे तक शुभ, दोपहर 1.30 से 3 बजे तक चल की चौघडिय़ा, दोपहर 3 से 4.30 बजे तक लाभ की चौघडिय़ा, शाम 4.30 से 6 बजे तक अमृत की चौघडिय़ा, शाम 6 से 7.30 बजे तक चल की चौघडिय़ा का योग बन रहा है। इसके साथ ही इस बार पर्व पर कई शुभ संयोग भी बने हैं। सावन माह का आखिरी सोमवार, श्रावण पूर्णिमा, श्रावणी नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि का विशेष संयोग बन रहा है। यह दिन नामकरण, अन्नप्राशन, यात्रा, व्यापार, वाहन क्रय के लिए अच्छा है। ब्राह्मण वर्ग रक्षाबंधन के लिए श्रावणी उपकर्म जनेऊ बदलते हैं।
    कोरोना काल के चलते राखियों की बिक्री होगी प्रभावित
    श्रावण मास आते ही शहरभर में जगह-जगह राखियों के बाजार सजने लग जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते प्रशासन ने इस तरह की सार्वजनिक दुकानों की परमिशन नहीं दी, जिसके चलते इस बार राखियों की बिक्री भी प्रभावित होगी। वहीं रक्षाबंधन के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्र एवं दूरदराज क्षेत्रों की बहनें भी जा नहीं सकेंगी।
    अपरा काल में भद्रा हो तो रक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए
    ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र या राखी बांधती हैं, साथ ही भाइयों की दीर्घायु, समृद्धि व खुशी आदि की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है, जिस दिन पूर्णिमा अपरा काल में पड़ रही हो। ध्यान रखें कि यदि पूर्णिमा के दौरान अपरा काल में भद्रा हो तो रक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्त में हो तो पर्व के सारे विधि-विधान अगले दिन करना चाहिए। लेकिन यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में न हो तो रक्षाबंधन को पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार चाहे कोई भी स्थिति क्यों न हो भद्रा होने पर रक्षाबंधन मनाना निषेध है। ग्रहण सूतक या संक्रांति होने पर यह पर्व बिना किसी निषेध के मनाया जाता है।

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