इंदौर। आमतौर पर रक्षाबंधन (Rakshabandhan) के दिन भद्रा की स्थिति बनती है। इसलिए राखी (rakhi) बांधने के लिए भद्रा समाप्ति का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा आड़े नहीं आएगी। रक्षाबंधन पर सूर्योदय के पहले ही भद्रा की समाप्ति हो जाएगी। इसलिए पूरा दिन राखी बांधने के लिए श्रेष्ठ रहेगा। इसी के साथ इस दिन ग्रह नक्षत्रों के मेल से कई शुभ संयोग भी विद्यमान रहेंगे। भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व रक्षाबंधन (Rakshabandhan) 22 अगस्त को मनाया जाएगा। कई बार सुबह से दोपहर बाद तक भद्रा की स्थिति रहती है। ऐसे में भद्रा की समाप्ति के बाद ही राखी (rakhi) बांधी जाती है। इस बार भद्रा 22 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त में 5 बजकर 19 मिनट पर ही समाप्त हो जाएगी। इसलिए सूर्योदय (sunrise) से लेकर पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा।
पूरे दिन बांधी जा सकेगी राखी
रक्षाबंधन पर्व में शुभ मुहूर्त (auspicious time) का विशेष ध्यान रखा जाता है। रक्षाबंधन पर राहूकाल और भद्राकाल में राखी (rakhi) नहीं बांधी जाती है, क्योंकि इन दोनों ही काल को अशुभ माना गया है। इस बार भद्राकाल का साया नहीं होने से पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी।
राहूकाल
रक्षाबंधन (Rakshabandhan) के दिन 22 अगस्त को राहूकाल का समय शाम 17 बजकर 16 मिनट 31 सेकंड से शाम 18 बजकर 54 मिनट 5 सेकंड तक रहेगा।
रक्षाबंधन पर शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का पर्व पूर्णिमा (Poornima) तिथि को मनाया जाएगा। पूर्णिमा की तिथि पंचांग के अनुसार 21 अगस्त को शाम 7 बजे से आरंभ होगी, जो 22 अगस्त की शाम 5 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। 22 अगस्त को पूजा का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट सुबह से शाम 5 बजकर 31 मिनट कर रहेगा।
शिवजी के साथ करें चंद्रदेव का पूजन
रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पूर्णिमा (Poornima) को मनाया जाता है और पूर्णिमा के देवता चंद्रमा हैं। इसलिए इस तिथि को शिवजी के साथ चंद्रदेव की पूजा से हर जगह मान-सम्मान मिलता है। दोनों की पूजा से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।
सावन पूर्णिमा पर किए जाने वाले कार्य
सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima) के दिन सत्यनारायण व्रत पूजन कराना चाहते हैं तो 21 अगस्त को इस शुभ काम का आयोजन किया जाना शास्त्र अनुकूल होगा, क्योंकि इस दिन प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि रहेगी, जबकि 22 अगस्त को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि नहीं है।
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