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    100 करोड़ के बस टर्मिनल का बेहतर संचालन भी चुनौतीपूर्ण, निजी हाथों में सौंपेगा प्राधिकरण

  • September 16, 2024

    एयरपोर्ट जैसा बना तो दिया मगर बदहाल बस स्टैंडों जैसे हाल न हो जाएं, जिसके चलते अब उपयुक्त ठेकेदार फर्म की होगी तलाश

    इंदौर। प्राधिकरण (IDA) ने इंदौर (Indore) ही नहीं, मध्य क्षेत्र के सबसे बड़े अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (bus terminal ) यानी आईएसबीटी (ISBT) का निर्माण तो एयरपोर्ट की तर्ज पर कर दिया है, बल्कि टर्मिनल की बिल्डिंग तो इंदौर एयरपोर्ट से भी बड़ी है, जिसकी सराहना अभी शनिवार को इंदौर आए मुख्यमंत्री ने भी अवलोकन के दौरान की। अब इस आधुनिक और सर्वसुविधायुक्त बस टर्मिनल के बेहतर संचालन, रख-रखाव की चुनौती कठिन है। वरना गंगवाल, सरवटे या नवलखा जैसे बदहाल बस स्टैंडों जैसे हाल कुछ समय बाद इस टर्मिनल के भी हो जाएंगे, जिस पर 100 करोड़ रुपए से अधिक की बड़ी राशि खर्च की गई है। अब अहमदाबाद और अन्य बड़े शहरों में जिस तरह निजी फर्मों को इस तरह के बस स्टैंड के संचालन के ठेके सौंपे गए हैं उसी तरह प्राधिकरण भी उपयुक्त फर्म की तलाश करेगा।


    इंदौर में वैसे तो कई प्रोजेक्ट तैयार होते हैं, जो कुछ ही समय बाद रख-रखाव के अभाव में बदहाल हो जाते हैं। इंदौर का रीजनल पार्क भी इसका एक उदाहरण है, जिस पर 50 करोड़ रुपए प्राधिकरण ने खर्च किए और उसे निगम को सौंपा, मगर इतने वर्षों में नगर निगम उसके संचालन की कोई पुख्ता व्यवस्था आज तक नहीं कर पाया। यहां तक कि जो फूड कोर्ट बनाया था वह भी खंडहर पड़ा है और रीजनल पार्क में फव्वारे से लेकर तमाम सुविधाएं चौपट हो गई है। मेघदूत गार्डन के भी यही हाल हैं, तो निगम ने जो गांधी हॉल सजाया-संवारा उसकी भी स्थिति बदतर है, तो रिंग रोड पर प्राधिकरण ने करोड़ों खर्च कर जो शहीद पार्क बनाया वह भी उजाड़ पड़ा है। अलबत्ता प्राधिकरण ने जो अंतरराष्ट्रीय स्वीमिंग पुल पिपल्याहाना में बनाया उसका संचालन ही बेहतर तरीके से हो रहा है, क्योंकि प्राधिकरण को अच्छा ठेकेदार मिल गया। अब इसी तरह नायता मूंडला, एमआर-10 कुमेर्डी में जो आईएसबीटी तैयार किए हैं उनके संचालन और रख-रखाव की बड़ी चुनौती भी सामने है। अभी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को कुमेर्डी में तैयार हो रहे बस टर्मिनल को देखा, जिसका संचालन दिसम्बर माह से शुरू होगा और मुख्यमंत्री ने 15 एकड़ में 101 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बने इस टर्मिनल की सराहना की। संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह और सीईओ प्राधिकरण आरपी अहिरवार ने इस टर्मिनल की विशेषताओं की जानकारी मुख्यमंत्री को दी और एयरपोर्ट की तर्ज पर इसे सर्वसुविधायुक्त बनाया गया है, जहां पर 1440 बसों का आवागमन 24 घंटे रहेगा और यह टर्मिनल वातानुकूलित तो है ही, वहीं एक हजार वाहनों की पार्किंग, 14 टिकट काउंटर और 80 हजार यात्रियों के आवागमन के मुताबिक इसे तैयार किया गया है। मगर अब असल चुनौती इसका बेहतर संचालन करना होगा, जिसके लिए प्राधिकरण निजी ठेकेदार फर्म की तलाश कर रहा है, जिसके लिए उन शहरों का अध्ययन भी किया जाएगा जहां पर इस तरह के बस स्टैंड निजी हाथों द्वारा बेहतर तरीके से संचालित किए जा रहे हैं। अन्यथा यह बस टर्मिनल भी सरवटे, गंगवाल या अन्य बस स्टैंडों की तरह बदहाल हो जाएगा। इस आईएसबीटी को मेट्रो स्टेशन से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि मेट्रो का भी फायदा मिल सके।

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