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युवाओं के लिए बेहतर ‘अग्निपथ’

June 29, 2022

– डॉ. विपिन कुमार

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के 14 जून को ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा के बाद ‘काफी कुछ’ देश में हो चुका है। इस योजना के तहत चार साल की अवधि के लिए युवाओं की भर्ती सेना के तीनों अंगों में होनी है। इस योजना पर उठाए जा रहे सवालों और विवादों की वजह से यह जानना बेहद जरूरी है कि सरकार की अग्निपथ योजना नई नहीं है। इसका एक रूप ‘टेरिटोरियल आर्मी’ के रूप में हमारी सेना में पहले से ही है।

9 अक्टूबर, 1949 को टेरिटोरियल आर्मी के पहले कैंप का उद्घाटन हुआ था। हालांकि मूल रूप से इसकी स्थापना 1920 में अंग्रेजों ने की थी। ‘सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस’ कही जाने वाली टेरिटोरियल आर्मी में वॉलंटियर्स होते हैं। इन्हें मिलिट्री टेनिंग मिली होती है। ‘सतर्कता और शौर्य’ इस फोर्स का मोटो है। फिलहाल टेरिटोरियल आर्मी में पचास हजार जवान हैं। इनमें कई मशहूर हस्तियां भी शामिल हैं। टेरिटोरियल आर्मी ने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाई में हिस्सा लिया है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं के समय जरूरी सेवाओं को बहाल करने में यह सेना अहम भूमिका निभाती है।

‘टेरिटोरियल आर्मी’ में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्रसिंह धोनी, कपिल देव, निशानेबाज अभिनव बिंद्रा आदि सम्मिलित हैं। कई फिल्मी हस्तियां भी इस आर्मी में शामिल हैं। ये सभी बीच-बीच में अपनी इस भूमिका को सेना के बीच रहकर पूरा करते हैं। टेरिटोरियल आर्मी को प्रादेशिक सेना भी कहा जाता है। प्रादेशिक सेना के अनेक विभाग हैं, जैसे-आर्म्ड कोर, तोपखाना कोर, जिसमें हवामार और तटरक्षा यूनिटें सम्मिलित हैं। इंजीनियर कोर में बंदरगाह और रेलवे यूनिटें सम्मिलित हैं। संकेत कोर में डाक तार कोर शामिल है। पैदल सेना, सेना सेवा कोर, सेना चिकित्सा कोर और विद्युत और यांत्रिक इंजीनियरी कोर भी है।

प्रादेशिक सेना के यूनिट दो प्रकार के हैं। पहला नागरिक और दूसरा प्रांतीय। प्रांतीय यूनिटों में ग्रामीण अंचल के व्यक्ति भर्ती किए जाते हैं और दो या तीन महीने की अवधि का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। नागरिक यूनिटों में बड़े नगरों के व्यक्तियों को भर्ती किया जाता है। इन्हें साप्ताहिक पद्धति से शाम के समय, रविवार तथा छुट्टियों में एवं अधिक से अधिक चार दिनों के शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है। इजराइल में भी 18 साल के बाद देश के हर युवा को दो साल के लिए ट्रेनिंग दी जाती है और उसके बाद उन्हें जरूरत पड़ने पर वापस सेना में बुलाया जाता है। इसलिए ‘अग्निपथ’योजना को मोदी सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तौर पर देखा जाना चाहिए। यह देश के युवाओं को और खुद देश को भी युवा रखने की सफलतम योजना है। इससे देश के युवाओं और देश का भविष्य पूर्णता सुरक्षित होगा।

अब यह जानना भी बहुत जरूरी है कि अग्निपथ योजना से देश को क्या लाभ होने वाले हैं। इस समय देश का मौजूदा रक्षा बजट लगभग सवा पांच लाख करोड़ रुपये है। इसका पचास से साठ प्रतिशत हिस्सा वेतन एवं पेंशन पर खर्च हो जाता है। ऐसे में कटौती करना बेहद जरूरी है। सरकार यह मानती है कि अग्निपथ योजना के लागू होने से देश के रक्षा बजट में काफी हद तक बचत होगी और इससे सेना को नई तकनीकी से लैस किया जा सकता है। इसके अलावा देश को उच्च कुशल प्रशिक्षित सेनाबल भी मिलेगा। सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी होगी। सेना में तकनीकी क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। देश में ‘युवा रक्षक’ तैयार हो सकेंगे। इसका एक उद्देश्य है कि समय पड़ने पर या संकट की अवस्था में युवा देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहें। इस योजना के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा युवाओं को नौकरी देना सरकार का उद्देश्य है।

मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्यों ने घोषणा की है कि वे रिटायरमेंट के बाद शेष बचे ‘अग्निवीरों को उनकी क्षमता एवं योग्यता के आधार पर अपने यहां के पुलिस विभाग एवं अन्य सुरक्षा विभागों में नौकरी देंगे। यह स्वागत योग्य कदम है। रक्षा मंत्रालय ने भी घोषणा की है कि ‘अग्निवीरों’ के लिए मंत्रालय की दस प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएंगी। कहा जा सकता है कि निसंदेह इस योजना से न केवल युवाओं का भविष्य सुधरेगा बल्कि देश के रक्षाक्षेत्र में भी अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिलेगा।

(लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं। )

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