– डॉ. मोक्षराज
विश्व के सबसे अधिक युवा भारत में बसते हैं। भारत श्रेष्ठ युवाओं को पैदा करने वाली एक ऐसी भूमि है जहाँ परिवार, कुटुम्ब एवं सांस्कृतिक मूल्यों के साथ-साथ महान पूर्वजों की श्रेष्ठ विरासत भी उनके सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। भारत की परिवार व्यवस्था बच्चों के विकास की सबसे उत्तम पाठशाला है, जहाँ न केवल संस्कार दिए जाते हैं, बल्कि संगठन शक्ति का विकास तथा तनाव से बचे रहने का स्वाभाविक बोध भी कराया जाता है।
स्वाभिमानी बनें
युवा अपनी भाषा, संस्कृति व स्वदेशी तकनीक के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए कटिबद्ध हों। “मेक इन इंडिया” का सपना भारत की आत्मनिर्भरता तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी पैठ जमाने के लिए एक अमोघ अस्त्र है। भारत की संस्कृति के वास्तविक स्वरूप को जानने के लिए विश्व झटपटा रहा है, क्योंकि भारतीय जीवन मूल्यों में ही वह शक्ति छिपी है जो व्यक्ति को सुख-शांति और आनंद का सुंदर परिवेश दे सकते हैं।
हमें अपने युवाओं पर गर्व है
वर्तमान में भी वैश्विक स्तर पर जो विश्वसनीयता भारत के युवाओं की है वैसी कदाचित् किसी भी देश की नहीं है। नशा तथा दिखावे की संस्कृति से बचकर हमारे युवा यदि स्वास्थ्य तथा चरित्र की पूँजी को बनाए रखें तो भारत को पुनः विश्वगुरु होने से कोई नहीं रोक सकता। सारा विश्व भारत के कदमों में होगा। दुनिया में भारत के युवाओं ने सूचना तकनीकी, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, विज्ञान, तथा साहित्य के क्षेत्र में अपनी योग्यता को प्रमाणित कर भारत का भाल उन्नत किया है।
राष्ट्रहित सर्वोपरि
अपने राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए हम अपने पूर्वजों की संस्कृति पर अभिमान करना सीखें। हम विदेशी मीडिया की चाल व राष्ट्र विरोधी ताकतों के षड्यंत्रों को समझें। अधिकांश विदेशी मीडिया वाले भारत की छवि बिगाड़ने के लिए वर्षों से जुटे हुए हैं।
युवा बहकें नहीं
जातिवाद, नशा, बेमेल विवाह तथा सांप्रदायिक द्वेष को मिटाने की दिशा में भी निरंतर काम करने व सच्चे ज्ञान का अर्जन करने की सदैव आवश्यक है। एवेंजर्स जैसी फ़िल्में भारत की छवि बिगाड़ने का एक छोटा-सा नमूना मात्र है, जबकि इस प्रकार के हजारों षड्यंत्र, युवा पीढ़ी को भ्रमित करने के लिए ऑनलाईन प्रोग्राम्स के माध्यम से परोसे जा रहे हैं।
श्रेष्ठ युवा बनें
हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान कर निरंतर आगे बढ़ना होगा। विदेशी लेखकों व मीडिया द्वारा छलपूर्वक जो दृश्य दिखाए जाते हैं उन्हें झूठा साबित करना हमारी जिम्मेदारी है। युवा का अर्थ है जो अपने राष्ट्र और समाज की बुराइयों को तोड़ने तथा अच्छाइयों को जोड़ने की क्षमता रखता है। हमें सही मायने में अच्छा युवा, सच्चा युवा, राष्ट्रभक्त युवा बनना होगा। हम सदैव सजग रहते हुए सबसे अग्रणी हों। वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता: -यजुर्वेद
(लेखक, वॉशिंगटन डीसी में भारत के प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक रहे हैं।)
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