नई दिल्ली: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Israel’s Prime Minister Benjamin Netanyahu) की संभावित गिरफ्तारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति (International politics) में हलचल तेज हो गई है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने हंगरी से मांग की है कि अगर नेतन्याहू वहां आते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर इंटरनेशनल क्राइम कोर्ट को सौंपा जाए. यह मांग ऐसे समय आई है जब नेतन्याहू इस हफ्ते हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन के निमंत्रण पर वहां जाने वाले हैं.
गौरतलब है कि आईसीसी ने नवंबर में नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. उन पर गाजा में युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप लगे हैं. इन आरोपों में भूख को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना, जानबूझकर आम नागरिकों पर हमला करना, हत्या और उत्पीड़न शामिल हैं.
हालांकि, हंगरी के प्रधानमंत्री ओर्बन नेतन्याहू के करीबी माने जाते हैं और उन्होंने संकेत दिया है कि वह गिरफ्तारी वारंट को लागू नहीं करेंगे. लेकिन हंगरी आईसीसी का सदस्य है और उसे कोर्ट के किसी भी आदेश को मानने की बाध्यता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की वैश्विक नीति प्रमुख एरिका ग्वेरा-रोसास ने कहा कि अगर नेतन्याहू की यात्रा बिना गिरफ्तारी के खत्म होती है, तो इससे इजराइल को भविष्य में और अधिक अपराध करने का हौसला मिलेगा.
एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि नेतन्याहू की यह यात्रा आईसीसी और अंतरराष्ट्रीय कानून की खुली अवहेलना करने की कोशिश हो सकती है. संगठन ने यूरोपीय नेताओं से अपील की है कि वे हंगरी से नेतन्याहू को गिरफ्तार करने की मांग करें और अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएं.
इजराइल और हंगरी की सरकारों ने अभी तक इस अपील पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन इस मामले ने यूरोप में मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय न्याय को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. अगर हंगरी नेतन्याहू को गिरफ्तार नहीं करता है, तो यह आईसीसी की वैधता पर सवाल खड़े कर सकता है और अन्य देशों को भी ऐसे मामलों में लचीला रुख अपनाने का संकेत दे सकता है.
इस पूरे घटनाक्रम ने इजराइल की राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावित किया है. वहां की सरकार पहले से ही गाजा युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना झेल रही है. अगर नेतन्याहू की यात्रा को लेकर दबाव बढ़ता है, तो यह उनके लिए एक नई कूटनीतिक चुनौती बन सकती है.
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