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बंगाली ओवरब्रिज बना मजाक, डिजाइन को लेकर प्रयोग जारी, 24 घंटे चलेगा ट्रैफिक सर्वे

June 24, 2021


इंदौर।  बंगाली ओवरब्रिज (Bengali Overbridge) का काम बीते कुछ दिनों से ठप पड़ा है, क्योंकि जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार अफसर अभी तक डिजाइन (Design) ही तय नहीं कर पाए हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा जिस डिजाइन से ओवरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है उसे त्रुटिपूर्ण बताते हुए मौके पर काम रूकवा दिया है। अब 24 घंटे का सर्वे अस्थायी स्ट्रक्चर, जिसमें डमी पिलर (Dummy Pillar) यानी नकली खम्भे बनाकर किया जा रहा है, उसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी और कल भोपाल में विभागीय मंत्री के साथ बैठक होना है। इधर जनप्रतिनिधियों से लेकर विशेषज्ञों द्वारा नित नए सुझाव अलग दिए जा रहे हैं। वहीं लोक निर्माण विभाग ( Public Works Department) अपनी मूल डिजाइन को ही सही बता रहा है तो दूसरी तरफ प्राधिकरण द्वारा बनवाए पिपल्याहाना ओवरब्रिज (Pipliyahana Overbridge) की तरह ही डिजाइन में रद्दोबदल किए जाने की मांग जारी है। अब देखना यह है कि कितनी जल्दी अंतिम डिजाइन का फैसला होता है, ताकि ठप पड़े ओवरब्रिज का काम शुरू हो सके। अभी मानसून के चलते वैसे भी निर्माण कार्य में
बाधा आएगी।


लॉकडाउन (lockdown)  के बाद बंगाली ओवरब्रिज (Bengali Overbridge) का निर्माण शुरू हुआ और उसके साथ ही जनप्रतिनिधियों ने विरोध कर बंद करवा दिया। उसके पहले स्व. सिंधिया जी की प्रतिमा के कारण ओवरब्रिज का निर्माण अटका पड़ा था। जैसे-तेसे पिछले दिनों प्रतिमा शिफ्ट की गई, तो डिजाइन की खामी सामने आई। दरअसल, प्राधिकरण ने जो ओवरब्रिज बनाया है उसमें नीचे पूरे स्थान पर कोई पिलर यानी खम्भा नहीं दिया है और लोहे की गर्डर डाली गई है। लेकिन लोक निर्माण विभाग ने ब्रिज की लागत घटाने के चलते पुरानी डिजाइन के आधार पर ही निर्माण शुरू कर दिया और नीचे चार खम्भे आ रहे हैं, जिसके कारण यातायात अवरुद्ध होने की आशंका के चलते काम रूका है। पिछले दिनों लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने आकर मौका-मुआयना किया और जनप्रतिनिधि-अफसरों के साथ बैठक भी ली, जिसमें तय हुआ कि नई डिजाइन के अलावा वर्तमान डिजाइन के मुताबिक डमी पिलर यानी नकली खम्भे बनाकर यातायात सर्वे किया जाए और यह प्रयोग भी कल से शुरू कर दिया गया, जिसकी रिपोर्ट आज तैयार की जाएगी। कल भोपाल में लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव इस सर्वे और नई डिजाइन के आधार पर मीटिंग लेंगे। दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग अपनी पुरानी डिजाइन को ही सही बता रहा है। उसका कहना है कि पुल के ऊपर तो यातायात बिना बाधा चलेगा, वहीं नीचे जो यातायात चलेगा उसको अलग-अलग भागों में बांटना जरूरी है, अन्यथा दुर्घटनाएं होंगी, क्योंकि चारों तरफ से वाहनों का आवागमन रहेगा, जिसके कारण बीच में विशाल रोटरी और उसमें प्रतिमा पूर्व में स्थापित भी की गई थी। लिहाजा विभाग ने नकली खम्भे बनाकर सर्वे शुरू किया। मौके पर जो पुराने स्ट्रक्चर का मलबा पड़ा था उसे हटवाया और यातायात भी शुरू कर दिया। अब 24 घंटे तक चलने वाले इस सर्वे के लिए चारों तरफ कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि यह पता लग सके कि कितने वाहन गुजरते हैं। हालांकि अभी तो कोरोना के चलते यातायात कम भी है, क्योंकि लोग काम होने के चलते ही निकल रहे हैं। मगर जब आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य होंगी और सभी तरह की गतिविधियां खुल जाएंगी तब यातायात में अच्छा-खासा इजाफा होगा। अब देखना यह है कि अंतत: बंगाली ओवरब्रिज के लिए कौन-सी डिजाइन लोक निर्माण विभाग तय करता है और कब तक ओवरब्रिज का निर्माण पूरा होगा। वैसे ही सवा साल से कोरोना के चलते निर्माण कार्य ठप-सा ही पड़ा है। वहीं कुछ जनप्रतिनिधियों की यह भी मांग है कि इसका बचा हुआ कार्य प्राधिकरण को सौंप दिया जाए, ताकि वह डिजाइन में संशोधन कर पिपल्याहाना ब्रिज की तरह ही इसका निर्माण पूरा कर सके। दरअसल शहर के जनप्रतिनिधि, विशेषज्ञ और अफसर पहले तो सोए रहे और जब ब्रिज का निर्माण 80 प्रतिशत तक पूरा हो गया तब उनकी नींद खुली और डिजाइन को त्रुटिपूर्ण बताकर हल्ला मचाना शुरू कर दिया।

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