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    बंगाल में विधानसभा चुनाव का गणित : मुकुल पर तृणमूल भाजपा का दाव

  • August 17, 2020

    कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में चंद महीने ही रह गए हैं। इस बीच दोनों ही तरफ पार्टी बदलने वाले भी सक्रिय हैं। लोकसभा चुनाव के समय जिन्होंने तृणमूल छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था उनमें से कई बड़े चेहरे वापस तृणमूल में लौट गए हैं। इस बार पहली बार ऐसा है जब पश्चिम बंगाल की सत्ता का विकल्प बनकर भाजपा उभरी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा को राज्य के 42 में से 18 सीटों पर कब्जा मिला तब मुकुल रॉय चुनाव के सारथी बनकर उभरे थे। भाजपा ने राज्य में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी उन्हें दी थी और पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा था। एक दौर में ममता बनर्जी का दाया हाथ रहे मुकुल रॉय जब भाजपा का सदस्य 2017 में बने थे तब बंगाल में भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था।

    अंदाजा लगाया जा रहा था कि मुकुल रॉय को ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेवारी की जा सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं और संघ से निकलकर पार्टी में शामिल हुए वर्तमान अध्यक्ष दिलीप घोष के हाथ में ही कमान रही। अब विधानसभा चुनाव होना है और पार्टी राज्य की सत्ता पर कब्जा करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। इसमें मुकुल रॉय की भूमिका बड़ी होगी और साथ ही उनके महत्वाकांक्षा भी बड़ी है। पिछले कई दिनों से इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि बाकी नेताओं की तरह मुकुल रॉय भी एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस में वापस जाना चाहते हैं। खबर आई थी कि उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक भी की है।

    इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी कटाक्ष करते हुए कहा था कि कोरोना की वजह से मुकुल राय पार्टी से दूरी बना कर रखें है। लेकिन बाद में मुकुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी थी और कहा था कि वह भाजपा में हैं और खुश हैं, किसी और पार्टी में जाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। अब एक बार फिर इन कयासों को बल मिलने लगा है। इसकी वजह यह है कि सारदा मामले में आरोपित और तृणमूल कांग्रेस के नवनियुक्त प्रवक्ता कुणाल घोष ने भी दावा किया है कि मुकुल रॉय ने तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से वापसी के लिए संपर्क साधा है। उन्होंने कहा है कि राय की वापसी के संबंध में शीर्ष नेतृत्व विचार-विमर्श कर रहा है।

    उन्होंने मुकुल रॉय को चुनौती देते हुए कहा कि वह अपनी पोती के सर पर हाथ रखकर नहीं कह सकते कि उन्होंने तृणमूल में वापसी के लिए पार्टी नेताओं से संपर्क नहीं साधा है। हालांकि रॉय से इस बारे में संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता के दावे पर जवाब देना जरूरी नहीं है। तृणमूल नेताओं के साथ अपनी बैठक को लेकर भी उन्होंने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है। वही इजी टारगेट हैं इसलिए तृणमूल कांग्रेस उन्हें लेकर राजनीति कर रहे हैं। इधर प्रदेश भाजपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी में बड़े फेरबदल की संभावना बनी हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले मुकुल रॉय का कद बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश अध्यक्ष तो नहीं लेकिन पार्टी में चुनाव प्रबंधन के साथ-साथ बड़ी सांगठनिक जिम्मेवारी मुकुल रॉय को मिलेगी। कुल मिलाकर कहें तो रॉय पर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और भाजपा दोनों ने दाव लगाना शुरू कर दिया है। (एजेंसी हि.स.)

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