नई दिल्ली। इजरायली-अमेरिकी साइबर सुरक्षा फर्म चेक प्वाइंट की एक रिपोर्ट बताती है कि चीनी सरकारी हैकर्स ने रूस के गोपनीय दस्तावेज को डाउनलोड करने की कोशिश की है। चीनी हैकर्स ने रूसी रक्षा मंत्रालय को कुछ ऐसे मैलवेयर भेजकर कुछ डॉक्यूमेंट्स को डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे थे। रिपोर्ट में यह कहा है कि इससे साफ होता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में भयंकर जटिलता है।
रूसी रक्षा प्रतिष्ठान में चीन की सेंधमारी
चीन ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की आलोचना करने से इनकार कर दिया है लेकिन चेक पॉइंट की रिसर्च से पता चलता है कि चीन और रूस के बीच गहरे संबंधों के बावजूद चीन रूसी संवेदनशील सैन्य तकनीकी जानकारी की चोरी करने को एक वैध लक्ष्य के तौर पर देखता है। चीन ने उन रूसी संस्थानों को निशाना बनाया है जो एयरबोर्न सैटेलाइट कम्युनिकेशन, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर पर रिसर्च करते हैं। रोस्टेक कॉर्पोरेशन रूसी सैन्य समूह से संबंधित हैं जो रूस की रक्षा प्रतिष्ठान में सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली संस्थाओं में से एक है।
जुलाई 2021 से जारी है चीन का जासूसी अभियान
चेक प्वाइंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले जुलाई 2021 में रूस को लेकर चीनी जासूसी अभियान शुरू हुआ था। मार्च 2022 के ईमेल से पता चलता है कि चीनी हैकर्स यूक्रेन युद्ध को लेकर जानकारी जुटाने की कोशिश की थी। चेक प्वाइंट के साइबर रिसर्च के प्रमुख इताय कोहेन ने कहा कि यह बहुत तैयारी के साथ किया गया हमला है। यह चीनी क्षमताओं का प्रदर्शन करता है। हैकर्स ने एडवांस रणनीति का इस्तेमाल किया जो उन कंप्यूटरों में अपनी घुसपैठ को बेहतर ढंग से छुपाते थे जिन पर हमला किया गया था।
साइबर जासूसी में भयंकर निवेश कर रहा चीन
रिपोर्ट्स बताती हैं कि शी जिनपिंग सरकार ने साइबर जासूसी के लिए पिछले कुछ सालों में बहुत निवेश किया है। अभी हाल ही में चीन ने यूक्रेन युद्ध को लेकर यूरोप में बड़े पैमाने पर जासूसी अभियान चलाया है। एक्सपर्ट्स ने बताया है कि चीन सिर्फ जरूरी डाक्यूमेंट्स जमा करना चाहता है न कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को प्रभावित करना चाहता है।
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