नई दिल्ली। एलएसी पर चल रही तनातनी के बीच खबर है कि भारत ने अपने परमाणु हथियारों का रुख पाकिस्तान की बजाए चीन की तरफ कर दिया है। इंटरनेशनल जर्नल, ‘बुलेटिन फॉर एटोमिक साईंटिस्ट’ के मुताबिक, चीन की राजधानी बीजिंग भी अब भारत की न्युक्लिर मिसाइल की जद में है। जर्नल ने ‘इंडियन न्युक्लिर फोर्सेज़-2020’ नाम से छपे लेख में खुलासा किया है कि भारत की न्युक्लिर-स्ट्रटेजी का जोर अब पाकिस्तान की बजाए चीन की तरफ है। लेख में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि भारत अपने तीन पुराने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम एयरक्राफ्ट, जमीन से मार करने वाले प्लेटफार्म और समंदर से मार करने वाले सिस्टम्स को बदल रहा है। हालांकि, जर्नल के लेख में इस बात का खुलासा नहीं किया है कि ये तीन कौन से प्लेटफार्म हैं।
अभी तक भारतीय वायुसेना के पास मिराज-2000 और सुखोई विमान थे, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम थे, लेकिन अब भारत रफाल विमानों पर ज्यादा निर्भर होना चाहता है। भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े में इस महीने की 29 जुलाई को फ्रांस से लिए पांच राफेल लड़ाकू विमान शामिल होने वाले हैं। ये रफाल विमान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं। इसी तरह भारत का सरकारी रक्षा संस्थान डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन पिछले कुछ समय से अग्नि-6 मिसाइल पर काम कर रहा है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और जिसकी रेंज दस हजार किलोमीटर से ज्यादा है। अग्नि-5, जिसकी रेंज करीब पांच हजार किलोमीटर है वो चीन की राजधानी बीजिंग तक दागी जा सकती है। दिल्ली से बीजिंग की दूरी करीब 4,000 किलोमीटर है। इसी मिसाइल का जिक्र, बुलेटिन ऑफ एटोमिक साईंटिस्ट जर्नल में किया गया है। ये जर्नल, द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरंत बाद नागासाकी और हिरोशिमा में परमाणु बम के हमलों के बाद शुरू किया गया था और तब से दुनियाभर की वैज्ञानिक रिसर्च और वैश्विक-सुरक्षा पर नजर रखती है।
यहां पर ये भी जानना जरूरी है कि भारतीय नौसेना की परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत भी अब समुद्री जंगी बेड़ा का हिस्सा बन चुकी है और समंदर में तैनात रहती है। इससे पहले जो परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस चक्र नौसेना के पास थी, वो रूस से 2012 में लीज़ पर ली गई थी, लेकिन चक्र पनडुब्बी परमाणु-उर्जा से तो चलती थी लेकिन परमाणु हथियार दागने में सक्षम नहीं थी जबकि अरिहंत न्युक्लिर-एनर्जी पर भी आधारित है और परमाणु-मिसाइल भी लांच कर सकती है। इसके भारतीय नौसेना में शामिल होने से भारत का जल, थल और आकाश, तीनों में ‘ट्राईड’ पूरा हो चुका है।
हाल ही में ग्लोबल थिंकटैंक, ‘सिपरी’ ने भी अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपने एटमी हथियारों का जखीरा बढ़ा रहे हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस एंड रिसर्च सेंटर यानि सिपरी ने जून के महीने में ‘साल 2020 रिपोर्ट’ जारी कर खुलासा किया था कि चीन के पास इस समय करीब 320 परमाणु हथियार हैं जो पिछले साल के मुकाबले बढ़ गए हैं। साल 2019 में चीन के पास 290 एटमी हथियार थे। खास बात ये हैं कि रिपोर्ट के मुताबिक, चीन काफी तेजी से अपनी एटमी जखीरे का आधुनिकिकरण कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन, जल और थल यानि जमीन और समंदर से मार करने वाली नई परमाणु मिसाइलें तैयार कर रहा है। इसके अलावा परमाणु-मिसाइल से लैस लड़ाकू विमानों को भी बनाने में जुटा है, जिससे उसका ‘न्युक्लिर-ट्राईड’ पूरा हो सके।
दुनियाभर में हथियारों की खरीद-फरोख्त, सेनाओं के रक्षा बजट और एटमी हथियारों पर पैनी नजर रखने वाले थिंकटैंक, सिपरी के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 150-160 एटमी हथियार हैं। इसका मतलब है कि चीन और पाकिस्तान के कुल मिलाकर करीब 480 परमाणु हथियार हैं। इन एटमी हथियारों में बम, मिसाइल और उनकों दागने वाले लड़ाकू विमानों को शामिल किया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के परमाणु हथियारों में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले साल जहां भारत के पास कुल 130-140 एटमी हथियार थे। इस साल ये नंबर बढ़कर 150 हो गया है। लेकिन ये संख्या चीन और पाकिस्तान के एटमी जखीरे से कम है। हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपनी न्युक्लिर-फोर्सेज़ का साइज तो बढ़ा ही रहे हैं साथ ही अलग-अलग तरह के एटमी हथियारों को अपने जखीरे में शामिल भी कर रहे हैं।
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