बीजिंग (Beijing)। तिब्बत की निर्वासित सरकार (Tibet’s government-in-exile) और चीन (China) के बीच पर्दे के पीछे बातचीत जारी है और वार्ता का पिछले दौर इसी महीने हुआ था। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (US President Joe Biden) ने एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका उद्देश्य तिब्बत की अधिक स्वायत्तता की मांग पर बातचीत के जरिए समाधान के लिए बीजिंग पर दबाव डालना है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के राजनीतिक प्रमुख या सिक्योंग पेनपा शेरिंग (Sikyong Penpa Tshering) ने बुधवार को कहा, “पिछले दौर की वार्ता इस महीने की शुरुआत में हुई थी।”
उन्होंने पत्रकारों के एक छोटे समूह को बताया कि तिब्बती पक्ष दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य के साथ पर्दे के पीछे की वार्ता में शामिल हो रहा है और उसे शी चिनफिंग के नेतृत्व वाली चीन की सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, “हम अल्पावधि के बारे में नहीं सोच सकते। हम केवल शी चिनफिंग के बारे में नहीं सोच सकते। वह कुछ समय के लिए रहेंगे और फिर चले जाएंगे। लेकिन हमें (बीजिंग के साथ) अपना संवाद जारी रखना होगा।”
चीन ने अप्रैल में तिब्बत की निर्वासित सरकार के साथ पर्दे के पीछे की बातचीत की खबरों को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह केवल दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ ही वार्ता करेगा। शेरिंग ने कहा, “पर्दे के पीछे बातचीत चल रही है। हालांकि चीन कभी उन्हें स्वीकार नहीं करता। स्वीकार न करना उनकी नीति है।” तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच 2002 से 2010 तक नौ दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। उसके बाद से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई।
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