नई दिल्ली: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लेकर क़ानून मंत्रालय की ओर से कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस मौके पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन 3 नए कानूनों से भारतीय समाज में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी. नए कानून भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में अभूतपूर्व बदलाव लाएंगे और पीड़ित पर भी ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि पुराने क़ानून की सबसे बड़ी खामी उनका बहुत पुराना होना था. ये क़ानून 1860 और 1873 से चले आ रहे थे. नए कानून संसद से पारित होना इस बात का साफ संदेश है कि भारत बदल रहा है और हमें मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नए तरीके चाहिए.
इस मौके पर सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, अटॉर्नी जनरल और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद थे. CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘पुराने तरीकों की सबसे बड़ी खामी पीड़ित पर ध्यान न होना था. नए कानून में अभियोजन और जांच कुशलता से हो सके, इसके साथ पीड़ित के हितों को भी ध्यान रखा गया है. छापेमारी के दौरान साक्ष्यों की ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग अभियोजन पक्ष के साथ साथ नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.’ उन्होंने बताया कि हाल ही में भारत सरकार ने 7000 करोड़ रुपये का बजट न्यापालिका के लिए आवंटित किया है, जिसका इस्तेमाल अदालतों के अपग्रेडेशन में किया जा रहा है. नवंबर और 31 मार्च के बीच हमने 850 करोड़ हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने में खर्च किए हैं. मैं हमेशा से घरेलू डिजिटल कोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर तयार करने की हिमायत करता रहा हूं. फोरेंसिक टीम की मौजूदगी जांच में मददगार होगी.
CJI ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर दिया जोर
भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि नए कानून नई जरूरतों के लिए है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त रूप से विकसित हो और जांच अधिकारीयों को ट्रेनिंग मिले. बीएनएसएस( भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में) में ट्रायल और फैसले के लिए टाइमलाइन तय होना एक सुखद बदलाव है, लेकिन कोर्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर भी होना चाहिए वरना इसे हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. सीजेआई ने आगे कहा, ‘हाल ही मैं मैने सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है कि सभी पक्षों को नए कानूनों के लिए ट्रेनिंग दी जाए. हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामी है कि गंभीर और छोटे मोटे अपराधों को एक ही नजरिए से देखा जाता रहा है. नए कानून से इसमें भी बदलाव किया गया है, लेकिन सबसे बड़ी जरूरत अपनी सोच को बदलने की है. पुलिस रिसोर्सेज को बढ़ावा देने की ज़रूरत है.’
‘भारत बदल रहा है’
सीजेआई ने कहा, ‘संसद द्वारा इन कानूनों को अधिनियमित किया जाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत बदल रहा है एवं आगे बढ़ रहा है और मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नए कानूनी उपकरणों की जरूरत है.’ देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिए नए अधिनियमित कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू होंगे. हालांकि, हिट-एंड-रन के मामलों से संबंधित प्रावधान को तुरंत लागू नहीं किया जाएगा. तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिली थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन्हें स्वीकृति दी थी.
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