इंदौर। महाकाल लोक बनने के बाद जहां उज्जैन में सभी तरह के कारोबार में वृद्धि हुई तो इसमें भिक्षावृत्ति का धंधा भी शामिल हो गया। अब स्थिति यह है कि इंदौर के कई भिखारी अपडाउन कर उज्जैन भीख मांगने जाते हैं तो शहर के ही कई भिखारी ऐसे हैं, जो 300 रुपए तक ऑटो भाड़ा चुकाकर रणजीत हनुमान मंदिर, शनि मंदिर, खजराना से लेकर स्थलों पर पहुंचते हैं। शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने और खासकर बच्चों को भी इसके चंगुल से बाहर लाने के प्रयास प्रशासन द्वारा भी किए जा रहे हैं। कलेक्टर आशीष सिंह ने एक दर्जन से अधिक टीमें तो बनवाईं ही, वहीं सीसीटीवी कैमरों के जरिए भी अब चौराहों पर भीख मांगने वालों पर निगाह रखने और उन पर कार्रवाई शुरू की गई है।
दूसरी तरफ भिक्षामुक्त इंदौर अभियान से जुड़ी संस्था प्रवेश की अध्यक्ष रूपाली जैन ने बताया कि कल अहीरखेड़ी स्थित नाथ मोहल्ला बस्ती में निगम और महिला बाल विकास अधिकारियों के साथ गए और भिक्षावृत्ति, नशे में लिप्त महिलाओं-बच्चों को समझाइश दी और उन्हें भिक्षावृत्ति छोडक़र स्वावलंबी बनने को कहा गया। रूपाली जैन के मुताबिक इनमें कई लोग ऐसे भी मिले, जो उज्जैन जाकर भीख मांगते हैं। चूंकि उज्जैन में अब श्रद्धालुओं की भीड़ देशभर से आने लगी है तो यह भिखारी सुबह बस, ट्रेन या अन्य साधनों से उज्जैन पहुंच जाते हैं और मंगलनाथ, महाकाल, चिंतामण से लेकर प्रमुख मंदिरों में दिनभर भीख मांगकर शाम को फिर इंदौर लौट आते हैंं। वहीं देवगुराडिय़ा क्षेत्र में रहने वाले कुछ भिखारी मंगलवार को रणजीत हनुमान और शनिवार को शनि मंदिर 300 रुपए भाड़ा देकर पहुंच जाते हैं।
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