- ट्रेनों और बसों से प्रतिदिन उज्जैन आकर ऑटो और ई रिक्शा से अपने चयनित स्थान पर पहुँचते हैं
उज्जैन। महाकाल लोक बनने के बाद जहां उज्जैन में सभी तरह के कारोबार में वृद्धि हुई तो इसमें भिक्षावृत्ति का धंधा भी शामिल हो गया। अब स्थिति यह है कि इंदौर के कई भिखारी अपडाउन कर उज्जैन भीख मांगने आते हैं तो इंदौर में भी भिखारी ऐसे हैं, जो 300 रुपए तक ऑटो भाड़ा चुकाकर रणजीत हनुमान मंदिर, शनि मंदिर, खजराना से लेकर स्थलों पर पहुंचते हैं।
शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने और खासकर बच्चों को भी इसके चंगुल से बाहर लाने के प्रयास प्रशासन द्वारा भी किए जा रहे हैं। कलेक्टर ने टीमें तो बनवाईं हैं, वहीं सीसीटीवी कैमरों के जरिए भी अब चौराहों पर भीख मांगने वालों पर निगाह रखने की योजना बनाई गई है। दूसरी तरफ भिक्षामुक्त उज्जैन में सही ढंग से शुरू नहीं हुआ है। चूंकि उज्जैन में अब श्रद्धालुओं की भीड़ देशभर से आने लगी है तो यह भिखारी सुबह बस, ट्रेन या अन्य साधनों से उज्जैन पहुंच जाते हैं और मंगलनाथ, महाकाल, चिंतामण से लेकर प्रमुख मंदिरों में दिनभर भीख मांगकर शाम को फिर वापस लौट जाते हैंं। प्रतिदिन ट्रेनों और बसों में सफर कर भिखारी उज्जैन आ रहे हैं और जहाँ उन्हें पहुँचना होता है, वहाँ भी ऑटो और ई-रिक्शा से भाड़ा चुकाकर पहुंचते हैं और दिनभर भिक्षावृत्ति से रुपए कमाकर वापस अपने ठिकाने के लिए रवाना हो जाते हैं। बाहर से अपडाऊन करने वाले इन भिखारियों के कारण शहर की छवि खराब होती जा रही है और कई तो ऐसे भिखारी भी हैं जो आसपास से यहाँॅ आकर स्थाई रूप से डेरा जमा कर रहने लगे हैं। चामुंडा चौराहा, शिप्रा नदी का किनारा, पशुपतिनाथ मंदिर सहित हरसिद्धि और नृसिंहघाट क्षेत्र में बड़ी संख्या में भिक्षुकों को भीड़ जमा होती है और रात्रि में यहीं डेरा डालकर रात गुजारते हैं।