इंदौर (Indore)। शहर को भिखारियों से मुक्त करने की कवायद वैसे तो पिछले कई समय से चल रही है और उनके पुनर्वास के प्रबंध भी किए गए। बावजूद इसके अधिकांश चौराहों पर ये भिखारी नजर आते हैं। अब एक बार फिर इन्हें खदेडऩे का अभियान शुरू किया जाएगा और नो भिक्षा संकल्प यात्रा का आयोजन भी किया गया। भिखारियों के पुनर्वास में जुटी संस्था प्रवेश को निगम ने दो गाडिय़ां भी उपलब्ध कराई है, ताकि पकड़े गए भिखारियों को पुनर्वास केन्द्र तक लाया जा सके। बीते 15 माह में 900 से अधिक भिखारियों का रेस्क्यू भी किया गया।
अभी चार प्रमुख और व्यस्त चौराहों पर अभियान चलाएंगे, जहां सबसे अधिक भिखारियों की संख्या मौजूद रहती है। बड़े आयोजनों के दौरान अवश्य इन भिखारियों को हटाया गया था। प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के अलावा जी-20 के आयोजनों के दौरान शहर को भिखारियों से मुक्त किया था। मगर उसके बाद फिर ये भिखारी और इनके साथ छोटा-मोटा सामान बेचने वाले फिर चौराहों-ट्रैफिक सिग्नलों के आसपास जमा हो गए और आने-जाने वाले चार पहिया-दो पहिया वाहन चालकों को परेशान भी करते हैं।
इंदौर को देश का पहला भिखारी मुक्त शहर बनाने के दावे बीते कुछ समय से किए जा रहे हैं। मगर इसमें अभी तक सफलता नहीं मिली है। अब संस्था प्रवेश ने संकल्प यात्रा शुरू करवाई, जिसमें भिक्षा नहीं, शिक्षा देने का संकल्प दिलाया जा रहा है। संस्था प्रवेश की रुपाली जैन ने बताया कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव, एमआईसी सदस्य निरंजन चौहान गुड्डू सहित अन्य ने भिक्षा नहीं शिक्षा का संकल्प लिया। यात्रा के पहले ही दिन 2 हजार से अधिक लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। मिस कॉल के साथ गूगल फॉर्म के जरिए भी शहर की जनता से यह संकल्प दिलवाया जा रहा है। नगर निगम के शहरी गरीबी उपशमन विभाग ने पिछले दिनों जियो टैगिंग सर्वे भी किया था, जिसमें साढ़े 3 हजार से अधिक भिखारियों की संख्या बताई गई। प्रवेश की अध्यक्ष रुपाली जैन का यह भी कहना है कि त्यौहारों या विशेष अवसरों पर इन भिखारियों की संख्या बढ़ जाती है। खजराना, लैंटर्न, रसोमा, व्हाइट चर्च सहित ऐसे व्यस्त चौराहों पर इन भिखारियों की संख्या अधिक रहती है।
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