नई दिल्ली। विपक्षी दल इस महीने के आखिर में बिहार की राजधानी पटना में जुटने वाले हैं। 2024 के आम चुनाव से पहले यह भाजपा को रोकने के लिए की जा रही तैयारी की नज़र से एक बड़ी मीटिंग मानी जा रही है। विपक्ष की यह तैयारी भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक यह भी दावा किया जा रहा है कि विपक्षी दल 543 लोकसभा सीटों में से 450 पर भाजपा के साथ सीधी लड़ाई की योजना बना रहे हैं। यानि हर एक सीट पर विपक्ष की ओर से सिर्फ एक उम्मीदवार होगा। हालांकि ऐसा कर पाना विपक्षी एकता के लिए बहुत आसान नहीं होगा, संभावना इस बात की है कि पटना में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा होगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इस फॉर्मूले का मतलब होगा कि क्षेत्रीय पार्टियां जो अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत हैं, वे खुद बीजेपी का मुकाबला करेंगी और कांग्रेस और अन्य राष्ट्रीय पार्टी उन राज्यों में बीजेपी का मुकाबला करेगी जहां वह सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ मुख्य दावेदार है।
साल 2021 में अपनी विधानसभा की जीत के बाद से तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पहली बार प्रस्तावित किया गया यह फॉर्मूला कुछ राज्यों के लिए मुश्किल हो सकता है, खासकर जहां दो विपक्षी दल (राष्ट्रीय स्तर पर) मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। लेकिन इस पर चर्चा आगामी मीटिंग में प्रमुखता से होने जा रही है।
टीएमसी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ के एक संपादकीय के मुताबिक विपक्षी एकता के संयोजक के रूप में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में बैठक की तैयारी कर रहे हैं, मुखपत्र के मुताबिक मीटिंग के लिए स्थान ममता बनर्जी ने ही सुझाई थी।
कांग्रेस विपक्षी एकता के लिए बहुत दिलचस्पी लेती दिखाई दे रही है। पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी पटना की बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं। राहुल गांधी ने विपक्षी एकता को लेकर अमेरिकी यात्रा के दौरान भी बयान दिया है।
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