नई दिल्ली। कोरोना के कहर से बचने और संक्रमण के प्रसार को रोकने का एकमात्र प्रभावी उपाय है- वैक्सीनेशन। कोरोना टीकाकरण को लेकर हुए तमाम अध्ययनों में विशेषज्ञ बताते हैं कि कुछ वैक्सीन की केवल एक डोज ही संक्रमण से सुरक्षा देने में काफी कारगर हो सकती है। हालांकि भारत के मौजूद वैक्सीनेशन प्रोटोकॉल के अनुसार सभी लोगों को पूर्ण सुरक्षा के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेना बेहद जरूरी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीन की पहली डोज से बनी इम्यूनिटी को बूस्ट करने और संक्रमण से सुरक्षित रखने में दूसरे डोज को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा कई अध्ययनों से पता चलता है कि दूसरी डोज लगने के बाद कोरोना वायरस से 80 फीसदी तक की सुरक्षा मिल सकती है। हालांकि लोगों के मन में दूसरी डोज से जुड़े कई सारे सवाल हैं। आइए इस लेख में विशेषज्ञों से इनका जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
दूसरी डोज के कितने दिनों बाद मिलती है मजबूत प्रतिरक्षा?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीन की दूसरी डोज प्राप्त करते ही खुद को कोरोना से सुरक्षित मान लेना सही नहीं है। अध्ययनों से पता चलता है कि दूसरी डोज लगने के 10-14 दिनों बाद शरीर में वायरस के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा विकसित होती है। इस बारे में डॉ अमरिंदर सिंह मल्ही (असिस्टेंट प्रोफेसर, दिल्ली एम्स) बताते हैं कि भारत में दी जा रही दोनों वैक्सीन, कोविशील्ड और कोवैक्सीन बेहद प्रभावी हैं।
दोनों ही वैक्सीन की दूसरी डोज लग जाने के करीब दो हफ्ते बाद शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज देखने को मिली हैं। अध्ययनों में कोवैक्सीन की प्रभाविकता 81 फीसदी और कोविशील्ड की प्रभाविकता 78-90 फीसदी तक बताई गई है, हालांकि लोगों में इसका असर अलग-अलग हो सकता है।
क्या दूसरी डोज के बाद हो सकते हैं पहले से गंभीर साइड-इफेक्ट्स
वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद सामान्यतौर पर लोगों में साइड-इफेक्ट्स के रूप में हल्के बुखार, हाथों में दर्द और कमजोरी का अनुभव देखा गया है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या वैक्सीन की दूसरी डोज के बाद साइड-इफेक्ट्स पहले से गंभीर हो सकते हैं? इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि कई ऐसी रिपोर्टस आई हैं जिनमें बताया जा रहा है कि दूसरी डोज लेने के बाद लोगों को पहले से गंभीर साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हर किसी का शरीर टीकों के प्रति अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। इसके लक्षण कुछ लोगों में गंभीर जबकि कुछ लोगों में बहुत हल्के भी हो सकते हैं। इससे डरने की जरूरत नहीं है।
दूसरी डोज न लेने से क्या हो सकता है?
इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। दूसरी डोज को ‘बूस्टर’ के रूप में जाना जाता है। अब तक जिन लोगों को ‘बूस्टर’ की खुराक नहीं मिली है उन्हें अब भी वायरस से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। दूसरी डोज लेने से ही शरीर में पूर्ण प्रतिरक्षा का निर्माण होता है।
कई देश संक्रमितों को दे रहे हैं केवल एक डोज
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस, स्पेन, इटली और जर्मनी जैसे कुछ देशों ने कोरोना संक्रमित रह चुके लोगों को वैक्सीन की एक ही डोज देने की स्ट्रेटजी बनाई है। इसके अलावा न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक अध्ययन कहती है कि जो लोग पहले संक्रमित रह चुके हैं और उन्होंने वैक्सीन का एक डोज ले लिया है ऐसे लोगों के शरीर में बनी एंटीबॉडी उन लोगों से भी ज्यादा होती है, जिन्होंने इसके दो डोज लिए हैं। फिलहाल भारत में लोगों को दोनों डोज लगवाने की सलाह दी जाती है।
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