इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे। जीवन मरण के बीच झूल रहे पिता की जिंदगी बचाने के लिए बेटी को सबूत देना पड़ा। पुणे के हास्पिटल की बेतुकी मांग के लिए 10 दिन तक कलेक्टर कार्यालय में भटकने के बाद आखिरकार कल अधिकारी ने नियमों को शिथिल बनाकर मदद की।
पिता की जान बचाने के लिए बेटी किस हद तक जा सकती है, इसके चर्चे और खबरें अखबारों में बहुत छपी हैं, लेकिन जीवन के लिए तरस रहे पिता की जान बचाने के लिए बेटी को अपने ही माता-पिता के विवाह का सबूत देना पड़े और यह साबित करना पड़े कि वह अपने पिता की संतान है। ऐसा मामला पहली बार सामने आया है। विजयनगर निवासी मिथिला झा के पिता चंदन झा पिछले चार सालों से लीवर की परेशानी से पीडि़त हैं। पुणे के एक बड़े अस्पताल में भर्ती पिता की जान बचाने के लिए बुआ की मदद से मिथिला ने असंभव को संभव कर दिखाया।
विभाग ने मुख्यमंत्री सहायता की भी पहल की
चंदन झा की पत्नी माधुरी झा ने जानकारी देते हुए बताया कि इंदौर के मेदांता अस्पताल में लीवर ट्रांसप्लांट के लिए 25 से 30 लाख का खर्च बताया था, वहीं पुणे के अस्पताल में यही खर्च 20 लाख तय हुआ। हालांकि इस खर्च को वहन करने के लिए अब कलेक्टर कार्यालय से चंदन झा की फाइल मुख्यमंत्री सहायता के लिए भेजी जा रही है। अधिकारी उच्च स्तर पर बात करके मदद की पहल कर रहे हैं।
21 साल की बेटी ने नहीं होने दिया किसी का टेस्ट
पिता के लीवर ट्रांसप्लांट की खबर मिलते ही बेटी ने खुद का लीवर देने की बात कही और जिद पर अड़ गई कि किसी और का टेस्ट मत कराओ। मेरे पिता है, मैं ही उन्हें बचाऊंगी। हालांकि परिवार ने फिर भी सभी के टेस्ट कराए, लेकिन ब्लड ग्रुप सिर्फ बेटी का ही मैच हुआ।
वीडियो काल पर मौजूदगी मानी
कलेक्टर कार्यालय में कल ऐसा मामला सामने आने पर एडीएम राजेश राठौर ने नियमों को शिथिल कर एक दिन में ही विवाह पंजीयन सर्टिफिकेट बनाकर दिया। चंदन झा की बहन सुचिता झा पिछले दस दिनों से सही जानकारी नहीं होने के कारण अधिकारियों के चक्कर काट रही थी, लेकिन कल मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए एडीएम ने वीडियो काल के जरिए चंदन झा की मौजूदगी में पत्नी माधुरी झा को मैरिज सर्टिफिकेट दिया।
लीवर मैच हुआ, लेकिन रिश्ता नहीं
बेटी मिथिला झा ने पिता को लीवर डोनेट करने के लिए सभी पड़ाव को पार कर लिया और सभी जांचें उसके पक्ष में आई। लीवर भी देना तय हो गया, लेकिन वे अपना रिश्ता पिता के साथ साबित नहीं कर पा रही थीं। मिथिला की मां माधुरी झा ने बताया कि अस्पताल ने बेटी होने के सबूत के रूप में माता-पिता के शादी का सर्टिफिकेट मांगा था। पिछले दस दिनों से सभी जांचें मैच होने के बावजूद भी ट्रांसप्लांट रुका हुआ था।
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