नई दिल्ली (New Delhi) । भारत के प्रधानमंत्री (prime minister of India) की सुरक्षा (Security) की जिम्मेदारी संभालने वाले विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) की कमान फिलहाल अरुण कुमार सिन्हा (Arun Kumar Sinha) के हाथों में ही रहेगी। अरुण सिन्हा के रिटायरमेंट से एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने उन्हें दोबारा जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। विशेष सुरक्षा समूह (SPG) के निदेशक अरुण सिन्हा को मंगलवार को केंद्र द्वारा एक कॉन्टैक्ट के आधार पर एक वर्ष के लिए फिर से नियुक्त किया गया है। वह 31 मई रिटायर हो रहे हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा मंगलवार को जारी एक आदेश के अनुसार, अरुण कुमार सिन्हा (1987 बैच के आईपीएस अधिकारी) को एसपीजी के निदेशक के रूप में एक वर्ष के लिए फिर से नियुक्त किया गया है।
रिटायरमेंट के एक दिन पहले फिर हुई ‘हायरिंग’
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “यह नियमों के अनुसार किया गया है। एक आईपीएस को केवल छह महीने के लिए विस्तार दिया जा सकता है। अगर किसी को इससे अधिक विस्तार दिया जाता है तो फिर एसपीजी नियमों में संशोधन करने की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे दरकिनार करने के लिए अरुण कुमार सिन्हा को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर फिर से नियुक्त किया गया है।” डीओपीटी के आदेश में कहा गया है, “मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने अरुण कुमार सिन्हा को उनकी सेवानिवृत्ति (31 मई) की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए या अगले आदेश तक (जो भी पहले हो) अनुबंध के आधार पर फिर से नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है।”
कौन हैं अरुण कुमार सिन्हा?
केंद्र सरकार मार्च ने साल 2016 में केरल कैडर के पुलिस अधिकारी सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा करने वाले विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) का प्रमुख नियुक्त किया था। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी, अरुण कुमार सिन्हा केरल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विशेष सेवा और यातायात) रह चुके हैं। सीमा सुरक्षा बल में एक कार्यकाल के अलावा, सिन्हा ने अपना अधिकांश करियर राज्य में ही बिताया है और महिलाओं की सुरक्षा और अनिवासी भारतीय मामलों के प्रभारी रहे हैं। अरुण सिन्हा देश भर के पुलिस बलों से चुने गए लगभग 3,000 क्रैक कमांडो की टीम का नेतृत्व करते हैं। यह मंजूरी ऐसे समय में दी गई है जब एक सप्ताह पहले ही एसपीजी के लिए सरकार ने नए नियम जारी किए थे।
एडीजी ही होंगे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे बल के प्रमुख
प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) की कमान अब भारतीय पुलिस सेवा के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) स्तर के अधिकारी के पास होगी, जबकि कनिष्ठ अधिकारियों को छह साल की प्रारंभिक अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त किया जाएगा। गृह मंत्रालय द्वारा ये मानक बृहस्पतिवार को विशेष सुरक्षा दल अधिनियम, 1988 (1988 का 34) के तहत राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से जारी नियमों की एक नई श्रेणी के माध्यम से तय किए गए।
अधिसूचना के अनुसार, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को एसपीजी में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिनियुक्ति पर उन्हीं नियमों और शर्तों पर नियुक्त किया जाएगा, जो केंद्र सरकार में संबंधित रैंक के अधिकारियों के लिए लागू हैं। इसमें कहा गया कि पहले की तरह एसपीजी का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा और निदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा भारतीय पुलिस सेवा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक से कम के स्तर पर नहीं की जाएगी।
अब तक, इसका नेतृत्व महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाता था, जबकि अतीत में कई अवसरों पर इस पद को अतिरिक्त महानिदेशक के स्तर तक बढ़ा दिया गया। हालांकि, अभी तक इस आशय के कोई निश्चित नियम जारी नहीं किए गए थे। अधिसूचना के अनुसार, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को छोड़कर एसपीजी के अन्य सदस्यों को छह साल की प्रारंभिक अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त किया जाएगा। दूसरे कार्यकाल के लिए नियुक्ति संबंधित कारणों से केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के साथ की जा सकती है।
एसपीजी के सामान्य अधीक्षण, निर्देशन, कमान और नियंत्रण, पर्यवेक्षण, प्रशिक्षण, अनुशासन और प्रशासन कार्य निदेशक में निहित होंगे। इसमें कहा गया कि अधिनियम में निहित प्रावधानों के संदर्भ में एसपीजी के निदेशक या सदस्य को सहायता प्रदान करने का तरीका केंद्र सरकार द्वारा मानक संचालन प्रक्रियाओं के माध्यम से निर्दिष्ट किया जाएगा।
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