इन्दौर। अगर ऐसी एक्ट्रेस की फेहरिस्त बनायी जाए जिनकी जुबां पर मिठास होती है तो कामिनी कौशल यकीनन पहले नंबर पर हैं। मिठास के बावजूद उनकी आवाज में वन और विद्रोह का बेहतरीन एक्ट्रेस तो वो थीं हीं, इसका सबूत है कि अपने अच्छे दिनों में फिल्म की बिलिंग और पोस्टर्स में उनका नाम हीरो से ऊपर रहा, चाहे वो दिलीप कुमार रहे हो या देवानंद या अभि भट्टाचार्य। वह पहली हिरोईन थी जिनसे दिलीप कुमार को प्यार हुआ था, उनका अफेयर काफी चर्चा में भी रहा था।
16 जनवरी 1927 को लाहौर में जन्मी इस पंजाबन का नाम उमा कश्यप था। चेतन आनंद ने उन्हें स्पॉट किया और अमीर-गरीब के बीच खाई पर आधारित ‘नीचा नगर’ (1946) ऑफर की। चेतन की पत्नी उमा आनंद ने उमा कश्यप का नाम बदल दिया कि दो उमा एक फिल्म में नहीं रह सकती और वो कामिनी कौशल हो गई। उनकी अगली फिल्म गजानन जागीरदार की ‘जेल यात्रा’ थी, जिसके हीरो नवोदित राजकपूर थे। ये फिल्म भी कामयाब हुई। कामिनी को असली पहचान मिली फिल्मिस्तान की ‘दो भाई’ (1947) से। खासतौर पर ‘मेरा सुंदर सपना बीत गया’ में उन्हें बहुत पसंद किया गया। कामिनी की सोहराब मोदी के साथ ‘जेलर’ (1958) भी बहुत चर्चित रही। मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित ‘गोदान’ (1963) बतौर हीरोइन कामिनी की आखिरी फिल्म थी जिसमें वो फिर एक ग्रामीण पत्नी थीं।
दिलीप कुमार के साथ दी हिट फिल्में
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