लखनऊ । यूपी (UP) में अपना पुराना रुतबा फिर हासिल करने की जद्दोजहद कर रही कांग्रेस (Congress) अपने नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) से सियासी लाभ उठाने की कोशिश में है। इसके लिए वह यात्रा के यूपी में प्रवेश के मौके पर पार्टी के पुराने नेताओं की घर वापसी कराने के अभियान में भी जुटी है।
पार्टी को लगता है कि पुराने नेताओं की घर वापसी से सकारात्मक सियासी संदेश जाएगा। इससे एक तरफ जहां पार्टी का विस्तार होगा, वहीं कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जनता को भी यह महसूस होगा कि पार्टी के दिन बहुरने वाले हैं। पार्टी की योजना है कि यूपी में यात्रा का भव्य स्वागत कर आगामी चुनावों के लिए बेहतर माहौल बनाया जा सके। इसके लिए छह प्रांतीय भारत जोड़ो यात्राएं निकाली जा रही हैं, जिनका नेतृत्व नवनियुक्त प्रांतीय अध्यक्ष कर रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष बृजलाल खाबरी अलग से यात्रा की अगुवाई कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार घर वापसी अभियान की कमान प्रदेश कमेटी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने संभाल रखी है। वे पुराने पार्टी नेताओं से संपर्क साध रहे हैं। पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में गए कई नेता भी घर वापसी के लिए छटपटा रहे हैं। वे खुद चाहते हैं कि पार्टी उन्हें सम्मान के साथ वापस बुलाए। उन्हें दूसरे दलों में वह सम्मान नहीं मिला, जो कभी अपने घर कांग्रेस में मिलता था। हिमाचल प्रदेश में सत्ता में वापसी होने से पुराने कांग्रेस नेताओं में विश्वास भी जगा है।
कांग्रेस छोड़कर गए एक पुराने नेता ने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उन्हें रोमांचित कर रही है। दशकों बाद किसी नेता ने राजनीति के इस सबसे कठिन प्रयोग को दोहराने की हिम्मत दिखाई है। रथयात्राओं के नाम पर सुविधा सम्पन्न सियासी यात्राएं निकालने वाले नेताओं के सामने राहुल गांधी ने बहुत बड़ी लकीर खींच दी है।
निकाय चुनाव से भी ताकत बटोरने की योजना
प्रदेश कांग्रेस की मौजूदा टीम नगर निकाय चुनावों को भी पार्टी की ताकत बढ़ाने के अवसर के तौर पर देख रही है। इसके लिए प्रांतीय भारत जोड़ो यात्राओं को निकायों के लिए प्रत्याशियों के चयन का प्लेटफार्म बनाया गया है। यात्राओं में भीड़ के साथ आने वाले नेताओं की टिकट के लिए दावेदारी मजबूत मानी जाएगी। प्रदेश के 17 नगर निगमों में महापौर पद के लिए प्रत्याशियों की तलाश भी शुरू कर दी गई है। पार्टी चाहती है कि महापौर पद के लिए मजबूत प्रत्याशी मैदान में उतारे जाएं। ऐसे में संभव है कि पार्टी इस पद के चुनाव में पूर्व विधायकों पर दांव लगा सकती है।
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