नई दिल्ली (New Dehli )। पश्चिम बंगाल (West Bengal)की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)से बीते बुधवार को करीब 25 मिनट लंबी मुलाकात की। वैसे तो दोनों नेताओं के बीच यह मीटिंग केंद्रीय योजनाओं के तहत राज्य को मिलने वाले फंड को लेकर हुई, मगर राजनीतिक जानकार इसके गहरे मायने समझ रहे हैं। ममता ने पार्टी के 9 सांसदों के साथ संसद परिसर में प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र की 155 टीम पहले ही पश्चिम बंगाल का दौरा कर चुकी है और केंद्र की ओर से उठाए गए मुद्दों पर राज्य सरकार ने सफाई दी है। मुख्यमंत्री के अनुसार, पीएम मोदी ने प्रस्ताव दिया कि राज्य और केंद्र के अधिकारी एक साथ बैठकर मुद्दों को सुलझा सकते हैं।
दरअसल, राज्य को राशि जारी करने को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच खींचतान चल रही है। तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर अक्टूबर में राष्ट्रीय राजधानी में अपने महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन भी किया था। बनर्जी ने दावा किया, ‘हमें वर्ष 2022-23 के बजट में मनरेगा के तहत 100 दिनों के काम के लिए एक पैसा भी नहीं मिला। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए मिलने वाली धनराशि रोक दी गई है। ग्रामीण विकास योजनाएं बंद कर दी गई हैं। स्वास्थ्य अभियान कार्यक्रम भी बंद कर दिया गया है। हमें वित्त आयोग के तहत भी राशि नहीं मिल रही है।’ वहीं, भाजपा ने पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार पर प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा के लिए जारी केंद्रीय निधि को हड़पने का आरोप लगाया है।
अगर मीटिंग के बाद जारी हुआ फंड तो…
हालांकि, पीएम मोदी और सीएम ममता के बीच मुलाकात के दौरान जो शिष्टाचार नजर आया, उसे दोनों दलों में युद्धविराम के तौर पर लेने की गलती नहीं करनी चाहिए। अगर इस मीटिंग के बाद केंद्र की ओर से फंड जारी किया जाता है तो टीएमसी इसे अपने आलाकमान की जीत के तौर पर पेश करेगी। मगर, राशि नहीं मिली तो TMC के नेता लोकसभा चुनाव के दौरान भी इस मामले को जोर-शोर से उठाएंगे और केंद्र सरकार पर निशाना साधेंगे। भाजपा को यह बात अच्छे से पता है। यही वजह है कि ममता के मोदी से मिलने के कुछ घंटे पहले ही स्टेट बीजेपी यूनिट ने निशाना साधना शुरू कर दिया।
फोटो खिंचवाने का मौका: बंगाल बीजेपी यूनिट
बंगाल भाजपा ने पीएम मोदी और ममता बनर्जी के बीच बैठक को महज फोटो खिंचवाने का मौका करार दिया। बीजेपी ने राज्य की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के प्रति बनर्जी की प्रतिबद्धता पर संदेह प्रकट किया। भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने दावा किया, ‘वह बंगाल के लिए बकाया राशि हासिल करने के बारे में बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। वह फोटो खिंचाने का मौका हासिल करने में अधिक रुचि रखती हैं। अगर उन्हें वास्तव में राज्य के बकाए की परवाह होती, तो उनके साथ मुख्य सचिव और वित्त सचिव जैसे प्रशासनिक अधिकारी भी होते। इसके बजाय, उन्होंने अपनी पार्टी के सांसदों को साथ ले जाने का विकल्प चुना।
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