इलाज का प्रोटोकॉल भी बनेगा… 100 से ज्यादा मरीजों का चल रहा है निजी अस्पतालों में ही इलाज
इंदौर। अंधाधुंध लगाए गए रेमडेसिविर (Remedisvir), टोसी इंजेक्शनों से लेकर स्टेरॉइड सहित अन्य दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण भी कई मरीजों की मौत हो रही है और अब ब्लैक फंगस (Black Fungus) की शिकायत अलग आने लगी। 100 से ज्यादा मरीजों का निजी अस्पतालों में ही इलाज चल रहा है, जिसके चलते ब्लैक फंगस के इलाज का प्रोटोकॉल तैयार करने और किस तरह बीमारी का निदान किया जाए इसको लेकर शहर के चिकित्सकों के साथ कल रात बैठक की गई, जिसमें कई अस्पतालों के संचालक मौजूद रहे और यह तय किया गया कि ब्लैक फंगस के पीडि़त मरीजों के लिए भी अलग से विशेष इलाज की व्यवस्था की जाएगी और इसकी शुरुआत अरविन्दो ने की, जहां 10 बेड आरक्षित भी कर दिए गए।
ब्लैक फंगस (Black Fungus) फंगस के लिए अस्पतालों का चिन्हांकन भी किया जा रहा है और कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) के मुताबिक ऐसे अस्पताल म्युकल क्लीनिक के नाम से जाने जाएंगे। अभी बड़ी संख्या में ब्लैक फंगस का शिकार कई कोरोना संक्रमित मरीज हो रहे हैं। खासकर वे मरीज ज्यादा चपेट में आ रहे जिनके इलाज में अत्यधिक दवाओं का इस्तेमाल किया गया। कई मौतें भी शहर में इससे हो गई है। लिहाजा इसके इलाज का प्रोटोकॉल बनाने और चिकित्सकों की राय लेने के लिए कल रात रेसीडेंसी में बैठक बुलाई गई, जिसमें प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट के अलावा एमजीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ, डॉक्टर, शहर के सभी प्रमुख निजी अस्पताल संचालक डॉक्टर मौजूद रहे। आपदा प्रबंधन समिति के डॉ. निशांत खरे और कलेक्टर मनीष सिंह भी मौजूद रहे। मंत्री श्री सिलावट ने बैठक में कहा कि कोरोना के इस कठिन समय में ब्लैक फंगस की शिकायत ने हमारी चिंता बढ़ायी है। लेकिन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार इसकी उचित चिकित्सा के लिए पूरी चिंता के साथ कार्य कर रही है। डॉ. निशांत खरे ने इसके प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि आम जनता को भी इसकी जानकारी हो तो इसकी पहचान करने में आसानी होगी। बैठक में उपस्थित अरविंदो अस्पताल (Aurobindo Hospital) के संचालक डॉ. विनोद भंडारी ने कहा कि मंत्री सिलावट से चर्चा के उपरांत उनके हास्पिटल में इस बीमारी के उपचार के लिए 10 बेड आरक्षित कर दिए गए हैं।
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