भोपाल। ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र के किसानों एवं कृषि आधारित स्टार्टअप शुरू करने के इच्छुक युवाओं को बड़ी सौगात मिली है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ग्वालियर में सेंटर फॉर एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन एवं एंटरप्रेन्योरशिप के नव-निर्मित भवन का लोकार्पण किया। तोमर ने कहा कि सेंटर की मदद से ग्वालियर-चंबल अंचल के नौजवान कृषि आधारित स्टार्टअप शुरू कर भारत का सुनहरा भविष्य गढ़ेंगे। नए-नए स्टार्टअप खड़े होने से आत्म-निर्भर भारत की नींव और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का यह प्रयास है कि युवा नौकरी मांगने के बजाय एग्री बिजनिस से जुड़कर दूसरों को नौकरी देने वाले बनें।
इसी उद्देश्य से इस प्रकार के सेंटर खोले जा रहे हैं। नाबार्ड के सहयोग से 7 करोड़ रूपए से अधिक लागत से आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से सुसज्जित इस सेंटर को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य अगले चार वर्षों में 100 से अधिक स्टार्टअप खड़े करना है। साथ ही कृषि एवं उससे जुड़ी विभिन्न प्रकार की 240 आर्थिक गतिविधियों के लिए क्षेत्रीय किसानों एवं युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण तथा आर्थिक एवं तकनीकी मदद मिलेगी। इस सेंटर के माध्यम से फसल उत्पादन, फसल सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित 130 प्रकार की तकनीक भी विकसित कर लोगों को जागरूक करने का काम होगा। तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर सरकार द्वारा एग्री बिजनेस स्टार्टअप, फूड प्रोसेसिंग और नवाचारों के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद दी जा रही है। साथ ही एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) और एग्री स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
समर्थन मूल्य पर दोगुनी खरीदी
तोमर ने कहा कि बोनी से लेकर उपज को बाजार में अच्छे दाम दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्धता के साथ किसानों की मदद में जुटी है। तोमर ने कहा कि इस साल समर्थन मूल्य पर सरकार ने पिछले साल के मुकाबले दोगुनी खरीदी की है। गेहूं और धान के साथ सरकार दलहन, तिलहन एवं अन्य मोटे अनाज भी समर्थन मूल्य पर खरीद रही है। तोमर ने आह्वान किया कि किसान पारंपरिक खेती के साथ सब्जी और फूलों की खेती भी करें, जिससे उनकी आय दोगुनी हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि अधो-संरचना के लिए एक लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। देश की आजादी के बाद पहली बार गाँवों के समीप खेती से संबंधित साधन उपलब्ध कराने के लिये डेढ़ लाख करोड़ रूपए की राशि की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है।
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