नई दिल्ली। राजस्थान में पिछले कई माह से मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी मतभेद सुलझता नजर आ रहा है। सीधे सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के चलते ऐसा संभव हुआ है। पार्टी हाईकमान ने दोनों नेताओं में सुलह कराने के लिए उन्हें दिल्ली तलब किया था।
दिल्ली पहुंचते ही दोनों नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से मुलाकात की। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ गेहलोत और पायलट की लगभग 4 घंटे चली मुलाकात के बाद जब दोनों नेता बाहर निकले तो चेहरे पर मुस्कुराहट थी। मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पार्टी में कोई मतभेद और गुटबाजी नहीं है। सचिन पायलट और हम दोनों ही मिलकर कांग्रेस को फिर सत्ता में लाएंगे। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी से हमारी चर्चा हुई, जिसमें उन्होंने पायलट से कहा कि वे धैर्य रखें, उन्हें सब कुछ मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमेशा विश्वास की जीत होती है और हम नेताओं को पार्टी आलाकमान पर विश्वास रखना चाहिए। दिल्ली में हुई बैठक के बाद इस बात की अटकलें भी लगना शुरू हो गई थीं। चुनाव से पहले पायलट को केंद्र में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।
बड़ी गुटबाजी… वसुंधरा नहीं होगी सीएम का चेहरा…
राजस्थान में जहां कांग्रेस में संकट टलता नजर आ रहा है, वहीं भाजपा में बढ़ती गुटबाजी से पार्टी आलाकमान परेशान है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सी.पी. शेखर ने दो टूक शब्दों में कहा कि राजस्थान में कोई सीएम चेहरा घोषित नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। उधर शेखर के इस बयान के बाद खुद को सीएम की दावेदारी के रूप में प्रस्तुत कर चुकीं वसुंधरा और उनके समर्थकों में नाराजगी बढ़ सकती है।
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