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    ये लक्षण दिखते ही हो जाएं सतर्क, Omicron संक्रमण का है संकेत

    December 22, 2021

    नई दिल्ली: कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (omicron variant) अब तक 90 देशों में अपने पैर पसार चुका है. WHO भी इसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ की श्रेणी में डाल चुका है. ये वैरिएंट बहुत संक्रामक है और तेजी से फैलता है. ओमिक्रॉन स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन में 30 से भी अधिक म्यूटेशन हैं, जो कि इसके पिछले किसी भी स्ट्रेन में नहीं थे.

    एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओमिक्रॉन इम्यूनिटी से भी बचने में माहिर है और यही वजह है कि इतनी तेजी से फैल रहा है. हालांकि, ओमिक्रॉन के अब तक के सभी मामले हल्के लक्षणों वाले ही पाए गए हैं. WHO का भी कहना है कि डेल्टा की तुलना में इस वैरिएंट से होने वाली बीमारी हल्की रहेगी लेकिन किसी भी तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है.

    ओमिक्रॉन के लक्षण (Symptoms of Omicron): कोरोना की पिछली लहर में डेल्टा वैरिएंट ने कहर मचाया था. डेल्टा के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक थे और इससे मरने वालों की संख्या भी काफी थी. डेल्टा से संक्रमित मरीजों में तेज बुखार, लगातार खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और ऑक्सीजन लेवल अचानक कम होने जैसे लक्षण देखे गए थे. ओमिक्रॉन के लक्षण कुछ अलग हैं और इन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.


    बहुत ज्यादा थकान: कोरोना के पहले के वैरिएंट की तरह ही ओमिक्रॉन की वजह से बहुत ज्यादा थकान महसूस हो सकती है. थकान और कम एनर्जी के साथ हर समय आराम करने का मन होता है. इसकी वजह से रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत आ सकती है. हालांकि, ये बात ध्यान देना जरूरी है कि ये थकान और भी वजहों से हो सकती है. अच्छा होगा कि आप इसकी सही वजह जानने के लिए कोरोना का टेस्ट करा लें.

    गले में चुभन: दक्षिण अफ्रीकी डॉक्टर, एंजेलिक कोएत्जीका कहना है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज गले में खराश की जगह चुभन का अनुभव कर रहे हैं, जो असामान्य है. गले में खराश और चुभन काफी हद तक एक तरह ही हो सकते हैं. गले की चुभन में जलन या कुछ गड़ने जैसा महसूस होता है जबकि गले की खराश में दर्द ज्यादा होता है.

    हल्का बुखार: बुखार COVID-19 के आम लक्षणों में से एक है. कोरोना के पिछले वैरिएंट में हल्के से तेज बुखार तक के लक्षण देखे जा रहे थे. डॉक्टर कोएत्जी के अनुसार, ओमिक्रॉन के मरीजों को हल्का बुखार हो रहा है जो अपने आप ही ठीक हो जाता है.

    रात को पसीना आना और शरीर में दर्द: दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य विभाग ने ओमिक्रॉन के लक्षणों को दो नई बातों को शामिल किया है. पहला कि ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति को रात के समय पसीना आता है. रात को आने वाला ये पसीना इतना ज्यादा होता है कि इससे आपके कपड़े या बिस्तर तक गीले हो जाते हैं, भले ही आप किसी ठंडी जगह पर लेटे हों. इसके साथ ही पूरे शरीर में तेज दर्द महसूस हो सकता है.

    सूखी खांसी: ओमिक्रॉन के मरीजों को सूखी खांसी भी हो सकती है. ये एक ऐसा लक्षण है जो कोरोना के अब तक के सभी स्ट्रेन में देखा गया है. आमतौर पर ये सूखी खांसी गले में खराश के साथ ही आती है. अब तक के मिले डेटा के मुताबिक, ओमिक्रॉन में हल्के लक्षण ही महसूस होते हैं.


    ओमिक्रॉन वैरिएंट में ये लक्षण नहीं: कुछ लक्षण ऐसे भी हैं जो कोरोना के पिछले वैरिएंट में तो देखे गए थे लेकिन ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों में ये नहीं देखे जा रहे हैं. जैसे कि इस नए वैरिएंट में ना तो मरीजों को खाने का स्वाद या सुगंध जा रहा है और ना ही बंद या भरी नाक जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं. ओमिक्रॉन के मरीजों को बहुत तेज बुखार भी नहीं हो रहा है. मरीजों में सांस से जुड़ी कोई दिक्कत भी नहीं देखने को मिल रही है.

    ओमिक्रॉन में सांस जुड़ी दिक्कत क्यों नहीं: कोरोना के अब तक के सभी वैरिएंट में सांस फूलने जैसी समस्या देखी जा रही थी लेकिन ओमिक्रॉन में ऐसा नहीं है. एम्स के कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर एम्स के डॉ पुनेट मुसरा का कहना है कि COVID-19 के ज्यादातर मामलों में, वायरस फेफड़ों में जाकर कई गुणा बढ़ने लगता है जिससे सांस लेने में समस्या होती है.

    लेकिन ओमिक्रॉन के मामले में ऐसा लग रहा है कि ये वायरस गले में बढ़ रहा हो. कभी-कभी वायरस अपने मूल स्ट्रेन से अलग लक्षण दिखाते हैं और ओमिक्रॉन के साथ भी ऐसा ही है. ओमिक्रॉन में सांस से जुड़ी कोई दिक्कत इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि ये शायद फेफड़ों में जाकर बढ़ने का काम नहीं कर रहा है. इसकी वजह से फेफड़ों पर ओमिक्रॉन का असर बहुत कम पड़ रहा है.

    डॉक्टक मुसरा का कहना है कि चूंकि ओमिक्रॉन गले में बढ़ता है इसलिए इससे गंभीर निमोनिया नहीं होगा. ओमिक्रॉन के लक्षण डेल्टा से भी हल्के होते हैं, लेकिन यह पिछले वैरिएंट की तुलना में 7 गुना अधिक फैलने वाला है. इसका मतलब है कि यह अधिक लोगों को प्रभावित कर सकता है लेकिन इसके गंभीर लक्षण, अस्पताल में भर्ती या मौत के मामले कम आने की संभावना है.

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