नई दिल्ली (New Delhi)। दुनिया भर में चावल के दाम (Rice prices) रिकॉर्ड स्तर (Record level) पर हैं, क्योंकि चावल आयातक देशों (Rice importing countries) ने पैदावार कम होने (Fear reduced yield) की आशंका के कारण चावल के निर्यात पर ज्यादा शुल्क (Higher duty export rice) लगा दिया है और कई तो प्रतिबंध भी लगा चुके हैं. ऐसे में दुनियाभर में चावल प्राइस हाई स्तर पर पहुंच चुका है।
अब भारत सरकार (Indian government) ग्लोबल स्तर बासमती चावल की कीमत (Basmati Rice prices) को कम करने के लिए कदम उठा सकती है. पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में निर्यातकों, किसानों और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ परामर्श की एक चेन के बाद सरकार बासमती चावल के मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 850 डॉलर प्रति टन कर सकती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है. हाल ही में बासमती चावल के एक्सपोर्ट लीडर के साथ बैठक के दौरान उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार एमईपी को घटाकर 900 डॉलर प्रति टन कर देगी. हालांकि निर्यातकों के कहने पर मंत्री ने शुल्क को और कम करने पर सहमति जताई थी।
निर्यातकों ने कहा कि भारत के सालाना 4.5 मिलियन टन बासमती चावल निर्यात का लगभग 75 फीसदी हिस्सा 700 से 1000 डॉलर प्रति टन के औसत मूल्य पर भेजा जाता है. हालांकि अगस्त में बासमती चावल की जगह सफेद गैर बासमती चावल का अवैध शिपमेंट शुरू हो गया था, जिस कारण निर्यात शुल्क को बढ़ाकर 1200 डॉलर प्रति टन का अस्थायी एमईपी लगाया गया था।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि उसे गैर-बासमती सफेद चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात के संबंध में रिपोर्ट मिली है, जिस कारण शिपमेंट पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि अब निर्यात शुल्क कम करने का समर्थन किया गया है।
भारत ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई के समय के दौरान 1.7 बिलियन डॉलर मूल्य के 1.6 मिलियन टन (एमटी) बासमती चावल का निर्यात किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में मूल्य के संदर्भ में 13.1 फीसदी की बढ़ोतरी है. अप्रैल-जुलाई (2023-24) में सुगंधित चावल के शिपमेंट का एवरेज प्राइस 1107 डॉलर प्रति टन था.
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