नई दिल्ली! सर्वोच्च बाल अधिकार संगठन एनसीपीसीआर (NCPCR) ने इलेक्ट्रानिक्स और इनफार्मेशन टेक्नोलाजी मंत्रालय से पूछा है कि प्रतिबंधित पबजी गेम (PUBG Game) अभी भी भारतीय नाबालिगों को कैसे उपलब्ध है? हाल ही में आनलाइन गेम पबजी PUBG खेलने से रोकने पर लखनऊ में 16 साल के लड़के के अपनी मां की गोली मारकर हत्या करने के बाद से पबजी PUBG के खिलाफ फिर से चर्चा शुरू हो गई है।
इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights-NCPCR) ने इस बात को लेकर हैरानी जाहिर की है कि सरकार ने जब PUBG गेम पर रोक लगा दी है तो अब भी बच्चे उसे कैसे खेल रहे हैं। आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (ministry of electronics and information technology) से इस बात का जवाब मांगा है कि भारत में प्रतिबंधित PUBG गेम बच्चों को अब भी कैसे हासिल हो रहा है।
एक खबर के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से देश में प्रतिबंधित कर दिए गए PUBG गेम तक अभी भी बच्चों की पहुंच होने के बारे में ये सवाल किया है।
गौरतलब है कि हाल ही में लखनऊ में एक दुखद घटना सामने आई थी, जिसमें PUBG गेम खेलने से मना करने पर नाराज होकर 16 साल के एक लड़के ने अपनी मां की कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी इसके बाद ही अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग इस मामले को लेकर सतर्क हुआ है और उसने आईटी मंत्रालय से इसके बारे में सफाई मांगी है।
बता दें कि आईटी मंत्रालय को भेजे गए अपने पत्र में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस बात को लेकर हैरानी जाहिर की है कि कैसे एक गेम जिस पर सरकार ने रोक लगा दी है और उसे भारत में ब्लॉक कर दिया है, अभी भी नाबालिगों तक उसकी पहुंच कायम है, जबकि भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष को लिखे गए एक दूसरे पत्र में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि ये सामने आया है कि एक ई-स्पोर्ट के रूप में PUBG को मान्यता हासिल है इसे एशियाई ओलंपिक परिषद (Olympic Council of Asia) से भी मान्यता है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पूछा है कि क्या इसी तरह के किसी और गेम को उनके संगठन से मान्यता हासिल है!
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