नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने मार्च 2017-2022 तक बट्टे खाते में डाले 7.34 लाख करोड़ की ऋण राशि में से 14 फीसदी की वसूली कर ली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि 1.03 लाख करोड़ की वसूली के बाद, फिलहाल सरकारी बैंकों के बट्टे खाते में 6.31 लाख करोड़ रुपये हैं, जिनकी वसूली के प्रयास जारी हैं।
बैंकों के फंसे हुए कर्ज (NPA) के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि फिलहाल देश के 12 सरकारी बैंकों पर 4,58,512 करोड़ के एनपीए का भार है। रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों और बैंक बोर्ड की तरफ से अनुमोदित नीति के मुताबिक चार वर्ष से जो एनपीए बना हुआ है, उन्हें बैंकों की बैलेंस शीट से हटाकर बट्टे खाते में डाल दिया गया है।
प्रतिस्पर्धा आयोग अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी, बुकमाईशो, एपल, व्हाट्सएप, फेसबुक (मेटा) और गूगल के खिलाफ प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों को लेकर तीन अलग-अलग मामलों में पूछताछ कर रहा है। एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मामलों को लेकर आदेश 31 जनवरी, 2018 से 20 अक्तूबर, 2022 के बीच जारी किए गए थे। मेकमाईट्रिप-गो और ओयो से जुड़े मामले में 19 अक्तूबर, 2022 को पूछताछ का आदेश जारी किया गया था।
31 दिसंबर, 2022 की स्थिति के मुताबिक सबसे ज्यादा 98,347 करोड़ एनपीए एसबीआई पर है। इसके बाद पीएनबी पर 83,584 करोड़, यूनियन बैंक पर 63,770 करोड़, केनरा बैंक पर 50,143 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा पर 41,858 करोड़ एनपीए है। वहीं, 38,885 करोड़ के एनपीए के साथ बैंक ऑफ इंडिया छठे आैर 29,484 करोड़ के साथ सातवें पर इंडियन बैंक है।
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