नई दिल्ली (New Delhi) । वित्त वर्ष (financial year) में बेशक बैंकों (banks) की उधारी में जोरदार उछाल आया है, लेकिन वे इस वक्त दो दशक के सबसे बड़े जमा संकट (deposit crisis) से गुजर रहे हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चला है कि बैंकों का ऋण-जमा अनुपात लगभग 20 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर है, क्योंकि गृह ऋण और उपभोग के लिए अन्य ऋण सहित सभी श्रेणियों में ऋण उठाव बढ़ गया है।
बैंकों का उधार-जमा का अनुपात: रिपोर्ट बता रही है कि बैंकों का उधार-जमा का अनुपात 2005 के बाद से अपने उच्चतम स्तर यानी 80 फीसदी पर है। यानी जमा के मुकाबले उधारी का स्तर बढ़ गया है। यह अनुपात बताता है कि बैंक का कितना जमा आधार ऋण के लिए उपयोग किया जा रहा है। वित्त वर्ष 24 का डाटा 22 मार्च तक का है, जो पिछले वित्तीय वर्ष का आखिरी पखवाड़ा है।
कहां निवेश कर रहे बैंकों के ग्राहक
कंसल्टिंग फर्म अल्वारेज़ एंड मार्सल के प्रबंध निदेशक भाविक हाथी ने कहा कि बैंकों के ग्राहक हाई-रिटर्न, इक्विटी-लिंक्ड उत्पादों के पीछे दौड़ लगा रहे हैं, जिससे उनका रुझान बैंकों में कम दरों पर पैसा जमा कराने से हट रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में इक्विटी बाजारों के ठोस प्रदर्शन और बढ़ती वित्तीय साक्षरता ने निवेशकों को उच्च रिटर्न के लिए ऐसी प्रतिभूतियों में पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
शेयर बाजार और रिएल एस्टेट सेक्टर दे रहे चुनौती
बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में ग्राहकों से पैसा जुटाने के उद्देश्य से ब्याज दरों में काफी इजाफा भी किया है, लेकिन उन्हें शेयर बाजार के साथ साथ रिएल एस्टेट सेक्टर से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। आरबीआई का बैंक जमा पर अगला आंकड़ा 5 अप्रैल तक समाप्त होने वाले पखवाड़े के लिए जारी किया जाएगा।
लोगों का निवेश के प्रति बदल रहा रुझान
हाल ही में यह बात उछली थी कि लोगों की बचत दो दशक के निचले स्तर पर चली गई है। इसको लेकर आरबीआई ने स्पष्टीकरण जारी किया था कि लोगों की बचत की आदतों में बदलाव हुआ है। लोग अब बैंक में साधारण ब्याज लेने के बजाय अन्य निवेश माध्यमों में पैसा लगा रहे हैं और मकान, वाहन, सोना, शेयर, म्यूचुअल फंड इत्यादि में पैसा लगा रहे हैं जिससे ऐसा लग रहा है कि उनकी बचत करने की आदत कम हो रही है लेकिन असल में उनकी निवेश की शैली में बदलाव हुआ है।
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