नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (Reserve Bank) द्वारा रेपो रेट में कमी (Reduction Repo rate) किए जाने के बाद भी कुछ बैंकों ने अभी तक ब्याज दरों में कटौती नहीं (No cut Interest rates) की है। खासतौर पर जिन लोगों ने पहले से होम या अन्य श्रेणी का ऋण ले रखा है, उनकी ईएमआई (EMI) में कटौती नहीं की गई है। जबकि, काफी बैंकों ने नए लोन पर ब्याज दरों में कटौती की है और उसको लेकर प्रचार भी किया जा रहा है। ऐसे में लोन लेने वाले ग्राहक ब्याज दरों में कटौती कराने के लिए कुछ जरूरी विकल्प अपना सकते हैं।
फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट का क्या है चक्कर
बैंकों की तरफ से अपने ग्राहकों को फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट (Fixed or floating rates) पर लोन मुहैया कराया जाता है। फिक्स्ड रेट का मतलब है कि अगर ग्राहक लोन लेते समय फिक्स्ड का विकल्प चुनता है तो रेपो रेट में कमी का लाभ ग्राहक को नहीं मिलता है। एक बार जिस दर पर लोन निर्धारित हो जाता है वही दर से ऋण की किस्त निर्धारित की जाती है। इसमें ग्राहकों को उस वक्त लाभ होता है जब ऋण दरों में बढ़ोतरी होती है।
हालांकि, कुछ फाइल चार्ज के साथ अपने लोन को फिक्स्ड से फ्लोटिंग में कन्वर्ट करा सकते हैं। वहीं, फ्लोटिंग रेट पर लिए जाने वाले लोन की ब्याज दरों में रेपो रेट के कम व ज्यादा होने पर परिवर्तन होता है।
नए लोन पर मेहरबानी, पुराने पर मनमानी
अब बैंकों ने फ्लोटिंग श्रेणी में जारी किए गए लोन की दरों में गिरावट की है, लेकिन जिस रेट पर नए लोन जारी किए जा रहे हैं, वह दर पहले से जारी हो चुके लोन की तुलना में कम है। उदाहरण के लिए कई बैंक बीते महीने तक 8.40 प्रतिशत की दर से होम लोन जारी कर रहे थे। अब कुछ बैंकों ने रेपो रेट में गिरावट होने पर बीते महीने तक जारी लोन पर ब्याज दर को 8.40 से घटाकर 8.15 कर दिया है, लेकिन नया होम लोन कुछ नियम एवं शर्तों के अनुसार 8.0 प्रतिशत की दर से ऑफर कर रहे हैं।
वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा का कहना है कि कई बार बैंक ब्याज दरों में कमी करते है लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में जितनी कमी की गई होती है, उतनी नहीं करते। ऐसी स्थिति में ग्राहकों के पास तमाम सारे विकल्प हैं, जिसके जरिए वह ब्याज दरों में कमी करा सकते हैं।
ब्याज दरों में कमी के लिए चुनें विकल्प
-सबसे पहले अपने लोन की ब्याज दर को देखें। अगर फ्लोटिंग श्रेणी में आपका लोन है और ब्याज दरों में ज्यादा गिरावट नहीं की गई है तो बैंक से ब्याज दर कम करने की मांग करें।
-अगर आपके बैंक की ब्याज दर बाकी बैंकों से ज्यादा है तो आप दूसरे बैंक में अपनो लोन पोर्ट करा सकते हैं लेकिन उससे पहले ऋण बंद करने और दूसरे बैंक में चालू करने का शुल्क भी जान लें।
– अगर लोन फिक्स्ड श्रेणी में जारी हुआ है तो उसे कुछ फाइल चार्ज देकर फ्लोटिंग श्रेणी में परिवर्तित करने का विकल्प भी चुन सकते हैं।
सरकार की मंशा ग्राहकों को मिले सीधा लाभ
अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केंद्र सरकार चाहती है कि व्यावसायिक बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा रेपो रेट में की गई कमी का लाभ ग्राहकों को मिली। इसलिए आरबीआई ने स्पष्ट किया था कि उसके द्वारा रेपो रेट में की जा रही कमी का लाभ ग्राहकों को दिया जाना चाहिए।
पुराने लोन पर भी ब्याज दरों में कमी करें बैंक
बैंक अपने ग्राहकों को आकर्षक दरों पर लोन मुहैया कराए और पुराने लोन पर भी ब्याज दरों में कमी करें, जिससे ग्राहकों की बचत बढ़े और उसका इस्तेमाल अपनी जरूरत की दूसरी चीजों पर कर पाएं। इससे बाजार में मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कमी को लेकर बैंकों को अलग से निर्देश भी दे सकता है।
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