मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 जून को एमपीसी बैठक में एक बात पर कड़ी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि कुछ माइक्रोफाइनेंस संस्थान और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFC) छोटी रकम वाले लोन पर उच्च दरों से ब्याज ले रहे हैं. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “यह देखा गया है कि कुछ एमएफआई और एनबीएफसी में छोटी रकम के लोन पर ब्याज दरें अधिक हैं और सूदखोरी लगती है.”
मौद्रिक पॉलिसी का ऐलान करते हुए आरबीआई गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि उत्पादों और सेवाओं के उचित व पारदर्शी मूल्य निर्धारण को सुनिश्चित करने के लिए ऐसी संस्थाओं को नियामक स्वतंत्रता का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए.
गवर्नर ने चालू वित्त वर्ष के लिए दूसरी द्विमासिक मॉनेटरी पॉलिसी में कहा, केंद्रीय बैंक के पैनल ने 4:2 के बहुमत के साथ रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है. इसका मतलब हुआ कि आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. इसके बाद होम लोन की ईएमआई घटने की उम्मीद और एफडी पर ज्यादा ब्याज की आशा, दोनों खत्म हो गई.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “वैश्विक संकट जारी है, लेकिन भारत में सकारात्मक वृद्धि देखी जा रही है, फिर भी हमें नई चुनौतियों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है.” आरबीआई निरंतर उच्च वृद्धि की उज्ज्वल संभावनाएं देखता है. उन्होंने कहा कि यह भारत की वैश्विक स्थिति को बढ़ाने के लिए भविष्य के लिए तैयार रहेगा.
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