-उद्यमों व कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएं महिलाएं: वित्त मंत्री
-सीतारमण ने कहा, एमएसएमई का बकाया 45 दिन में चुकाएं कंपनियां
नई दिल्ली/मुंबई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बैंकों (Banks) से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनकी प्रणाली एक-दूसरे के अनुकूल रहे, ताकि वे ग्राहकों की सेवा (Customer service) बेहतर ढंग से कर सकें। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र (India developed nation) बनाने में बैंकिंग क्षेत्र को बड़ा योगदान देना है।
सीतारमण शुक्रवार को यहां भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की 75वीं सलाना आम बैठक (एजीएम) को संबोधित कर रही थीं। वित्त मंत्री ने कहा कि कई बार ग्राहकों को अलग-अलग बैंकों के साथ लेनदेन के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति को ऐसी कृत्रिम दीवार बताया, जिसका निर्माण बैंकों ने अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि बैंकों को आने वाले समय में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि देश 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था होने के लिए प्रयास शुरू कर चुका है।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री ने इससे पहले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) मुख्यालय में महिला निदेशकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कॉरपोरेट जगत में बड़े पदों पर तैनात महिलाओं की संख्या पर्याप्त नहीं है। उन्होंने महिला उद्यमियों से नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का आग्रह किया। सीतारमण ने कंपनियों से अपने निदेशक मंडल में ज्यादा महिलाओं को शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर यह साबित हो गया है कि जिन कंपनियों के निदेशक मंडल में ज्यादा महिला अधिकारी हैं, वे अधिक लाभदायक और अधिक समावेशी हैं।
इससे पहले निर्मला सीतारमण ने लघु उद्योग भारती के एक कार्यक्रम में कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियों और उद्योग से सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के बकाया का 45 दिन के भीतर भुगतान का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कंपनी पंजीयक में खाता पुस्तिका दाखिल करनी चाहिए, जिससे कि वह बकाया का उल्लेख कर सके। इसके लिए निजी क्षेत्र को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने इस बात को माना कि केंद्र सरकार के विभाग और उपक्रम भी एमएसएमई का बकाया समय पर नहीं दे रहे हैं। (एजेंसी, हि.स.)
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