नई दिल्ली: लोकसभा (Lok Sabha) में 3 दिसंबर को बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पारित (Banking Laws Amendment Bill passed) हो गया है. इस विधेयक में एक बैंक अकाउंट में 4 नॉमिनी जोड़ने का प्रावधान (Provision to add 4 nominees) रखा गया है. इसके साथ ही नए बैंकिंग कानून विधेयक में जमाकर्ताओं को बेहतर सुरक्षा और प्राइवेट बैंक में बेहतर सर्विस देने के प्रावधान हैं. ये विधेयक बिना दावे वाले शेयर, बांड, डिविडेंड, के ब्याज या रिडेम्पशन आय को एजुकेशन और संरक्षण कोष में ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करेगा. इससे निवेशकों के हित सुरक्षित होंगे और ट्रांसफर और रिफंड क्लेम करने की सुविधा मिलेगी.
विधेयक में अन्य महत्वपूर्ण सुधारों में बैंक निदेशकों के लिए “पर्याप्त हित” को फिर से परिभाषित करना भी शामिल है. बिल में इस सीमा को 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए करने का प्रावधान है, यह आंकड़ा लगभग छह दशकों से अपरिवर्तित है. बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक में ये प्रमुख बदलाव कोविड 19 महामारी में हुई परेशानी के बाद किए गए हैं. अब एक नॉमिनी की जगह अब 4 नॉमिनी बनाने की अनुमति मिलेगी. इसका मकसद खाताधारक की मृत्यु के बाद पैसे की निकासी को आसान बनाना है. दिक्कतों के बाद किया गया है.
विधेयक जमाकर्ताओं को या तो एक साथ नामांकन का विकल्प चुनने की अनुमति देता है, जहां नॉमिनी को एक तय प्रतिशत शेयर सौंपे जाते हैं, या क्रमानुसार (successive) नॉमिनी, जिसमें नॉमिनी की उम्र के हिसाब से बैंक में जमा रकम दी जाती है. इस बदलाव से परिवारों के लिए रकम की पहुंच आसान होने के साथ-साथ बैंक प्रक्रिया में देरी भी कम होने की उम्मीद है.
विधेयक पारित होने के बाद बैंक अपनी रिपोर्ट रिजर्व बैंक को हर शुक्रवार की जगह हर पखवाड़े के अंतिम दिन सौंपेंगे. इसके साथ ही गैर अधिसूचित बैंकों को शेष नकदी भंडार को व्यवस्थित रखना होगा. विधेयक में केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा करने की अनुमति देने का भी प्रावधान किया गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विधेयक में एक और अहम बदलाव किया गया. अब तक अगर किसी खाते में सात वर्ष तक कोई लेन-देन नहीं होता था तो उसे निवेशक शिक्षा और सुरक्षा फंड में भेज दिया जाता था. इस संशोधन के बाद खाताधारक निवेशक शिक्षा और सुरक्षा फंड से राशि की वापसी का दावा कर सकता है.
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