संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने शुक्रवार को कहा कि इस बात के पुख्ता संकेत (strong indication) हैं कि बांग्लादेशी (Bangladeshi) सुरक्षा बलों (security forces) ने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर अनावश्यक बल (unnecessary force) का प्रयोग किया, जिसके बाद भीड़ हिंसक हो गई और प्रदर्शनकारियों ने ढाका की सड़कों पर अपना कब्जा कर लिया। भीड़ को हिंसक होते देख 76 वर्षीय शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर हेलीकॉप्टर से पड़ोसी देश भारत भाग गईं, जिससे उनके 15 साल के कठोर शासन का नाटकीय अंत हो गया। यूएन ने कहा कि पांच अगस्त को शेख हसीना के अपदस्थ होने से पहले कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शनों में 450 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बांग्लादेश में हुई हिंसा पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यूएन ने कहा, सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए अनावश्यक और अनुपातहीन बल का प्रयोग किया। इसके मजबूत संकेत हैं, जो आगे की स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं। कथित उल्लंघनों में न्यायेतर हत्याएं, मनमाने ढंग से गिरफ्तारियां और हिरासत, जबरन गायब करना, यातना और दुर्व्यवहार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा पर गंभीर प्रतिबंध शामिल हैं।
रिपोर्ट में कानून और व्यवस्था की तेजी से बहाली की आवश्यकता पर जोर दिया गया। साथ ही आगे की जानमाल हानि, हिंसा और प्रतिशोध की कार्रवाई को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने यूएन जांचकर्ताओं को उनके निष्कासन के साथ हुई हिंसा की जांच करने के लिए आमंत्रित किया है। 84 वर्षीय यूनुस पिछले सप्ताह यूरोप से लौटे हैं और एक अस्थायी प्रशासन का नेतृत्व कर रहे हैं, जो लोकतांत्रिक सुधारों को आगे बढ़ाने की चुनौती का सामना कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा, बांग्लादेश में परिवर्तन यह सुनिश्चित करने का एक मौका था कि शासन अधिकारों और कानून पर आधारित हो। आगे आने वाला बदलाव देश की संस्थाओं में सुधार, उन्हें पुनर्जीवित करने, मौलिक स्वतंत्रता, नागरिक स्थान को बहाल करने और बांग्लादेश में सभी को भविष्य के निर्माण में हिस्सा देने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रस्तुत करेगा। कहा, उल्लंघनों के लिए जवाबदेही और पीड़ितों के लिए न्याय आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही एक राष्ट्रीय उपचार प्रक्रिया की आवश्यकता होगी।
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