नई दिल्ली (New Delhi)। अपने बयानों को लेकर सुर्खियों (Headlines)में रहने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma)ने बुधवार को रांची (Ranchi)में कहा कि झारखंड को असम(Jharkhand to Assam) को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए कि कैसे बांग्लादेश से घुसपैठ के कारण राज्य की जनसंख्या में परिवर्तन हो चुका है। राज्य की स्वदेशी आबादी के लिए जीवन और मृत्यु का मामला बन गया है। उन्होंने कहा कि असम में मुस्लिम आबादी 40% है। 1951 में यह सिर्फ 12% थी।
झारखंड में भाजपा के चुनाव प्रभारी सरमा ने पार्टी की चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए बैठक की। इसके बाद उन्होंने कहा, ”यह मेरे लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। मैं इसके लिए दिन-रात लड़ता रहता हूं।”
सरमा ने आरोप लगाया कि झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की तुष्टिकरण की राजनीति ने भूमि जिहाद को जन्म दिया है, जहां अवैध अप्रवासी आदिवासियों को नकली शादियों में फंसाकर उनकी जमीन हड़प रहे हैं। सरमा ने कहा, “हम नहीं चाहते कि झारखंड का भी हाल असम की तरह हो जाए।”
सरमा ने कहा, “जेएमएम और कांग्रेस केंद्र पर दोष मढ़कर सभी को गुमराह कर रही है। लेकिन मैं आपको बता दूं कि केंद्रीय बल घुसपैठ को नहीं रोक सकते। अगर यह खूंटी जिले में हो रहा है, तो केंद्र कुछ नहीं कर सकता है। यह राज्य सरकार का काम है। मैं असम में नियमित रूप से ऐसा करता हूं।”
असम के सीएम ने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट ने भी हाल ही में राज्य सरकार को घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने का निर्देश दिया है। सरमा ने कहा, “अगर आप इसके लिए केवल केंद्र को दोषी ठहराते हैं तो कुर्सी छोड़ दें। हम सत्ता में आने के बाद जो करना होगा करेंगे।” उन्होंने कहा कि अगर झारखंड में भाजपा अगली सरकार बनाती है, तो उसे आदिवासी लड़कियों को शादी के बहाने घुसपैठियों के जाल में फंसने से रोकने के लिए एक सख्त कानून के बारे में सोचना चाहिए।
जमीन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिलने के कुछ दिनों के भीतर सोरेन द्वारा मुख्यमंत्री पद संभालने पर सरमा ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को पद छोड़ने के लिए मजबूर करके उन्होंने उनकी राजनीतिक हत्या के बराबर काम किया है।
सरमा के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि सरमा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से पूछना चाहिए कि क्या उन्हें वाकई राज्य और देश की चिंता है। अगर वह या भाजपा घुसपैठ की बात कर रहे हैं तो उन्हें पहले यह स्वीकार करना चाहिए कि मोदी सरकार में देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं।
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