इंदौर। विजय नगर पुलिस टीम (Vijay Nagar Police Team) के साथियों के साथ आए बांग्लादेश(Bangladesh) के मानव तस्कर विजय दत्त उर्फ मामनूर उर्फ मामून के पकड़े जाने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। उसे जब मुंबई पुलिस टीम (Mumbai Police Team) पकडऩे गई तो टीम को कई पापड़ बेलने पड़े। एक थानेदार को तो कॉलगर्ल (Callgirl) बनना पड़ा, जबकि एक पुलिसवाले को उसका दलाल। एक बंगाली (Bangali) व्यक्ति को भी किराए पर हायर कर टीम को साथ रखना पड़ा। जो पुलिसवाला दलाल बना था, उसकी मराठी भाषा (Marathi Langauage) सुनकर मामून समझा कि मुंबई पुलिस (Mumbai Police) उसे गिरफ्तार करने की फिराक में है तो वह इंदौर की ओर भागा और गिरफ्त में आ गया।
मामून का नाम उस समय आया जब विजय नगर पुलिस (Vijay Nagar Police) ने देह व्यापार (Prostituiton) के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया था। मामून का नाम उस समय पुलिस रिकार्ड में विजय दत्त दर्ज था। उसे पकडऩे के लिए विजय नगर पुलिस कई दिनों से प्रयास कर रही थी। मामून बांग्लादेश (Bangladesh) से करीब 1994 में हिंदू-मुस्लिम दंगों के बाद सीमा पार कर भारत आया था। तब उसने मुंबई (Mumbai) में सबसे पहले एक होटल में कई सालों तक काम किया। इसी दौरान उसे रुबिया असद मंडल मिली और उसने कहा कि वह लड़कियां लेकर आएगी तो उसे कमीशन देगा। पहली लडक़ी के बदले उसे 2 हजार का कमीशन मिला तो उसे लड़कियां सप्लाय करने का चस्का लग गया। विजय नगर पुलिस (Vijay Nagar Police) की टीम सात दिनों से मुंबई के नाला कोपर में मामून की घेराबंदी किए हुई थी। टीम में एक महिला थानेदार भी थी। टीम ने मुंबई से ही एक बंगाली भाषा बोलने वाले को हायर किया और साथ रखा।
ऐसे मुंबई से भागा दलाल
टीम में इंदौर पुलिस (Indore Police) का मराठी भाषा बोलने वाला मराठी जवान भी था। जब टीम ने दलाल बनकर मामून से संपर्क किया और महिला थानेदार को कॉलगर्ल (Call Girl) बताते हुए फोटो दिखाई तो उसने 6 हजार देने को कहा। एक हजार दलालों का कमीशन भी उसमें शामिल कर बताया। हायर किया हुआ बंगाली भाषी मामून के संपर्क में रहा और उससे फोन पर लगातार बात करता था। एक बार मराठीभाषी पुलिसकर्मी ने भी उससे बात की तो उसे शंका हुई कि मुंबई पुलिस (Mumbai Police) उसकी घेराबंदी कर रही है तो वह इंदौर भाग आया।
2 लाख देकर मुंबई पुलिस से छुटा था मामून
मामून को एक बार मुंबई पुलिस (Mumbai Police) की टीम ने नशा करते हुए कुछ लोगों के साथ पकड़ा था। उससे ज्यादा पूछताछ नहीं हुई। वह पुलिस को दो लाख देकर छूट गया। पुलिस को भी लगा कि साधारण नशेड़ी होगा, इसलिए रिश्वत लेकर छोड़ दिया। जब दोबारा मराठी भाषा बोलने वाले जवान की उसने आवाज सुनी तो उसे वही शंका हुई कि दोबारा पुलिस उसे पकड़ लेगी और इंदौर भाग आया।
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