नई दिल्ली । बांगलादेश सरकार (Bangladesh Government) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हिंदू (Hindu) अब बांगलादेश में पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं, और यह सुरक्षा शेख हसीना (sheikh hasina) के शासन के मुकाबले कहीं बेहतर है. मीडिया से बातचीत में बांगलादेश सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम (Press Secretary Shafiqul Alam) ने आरोप लगाया कि भारतीय मीडिया द्वारा “औद्योगिक स्तर पर झूठी प्रचार की मुहिम” चलाई जा रही है, ताकि बांगलादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा सके.
आलम ने कहा, “हिंदू यहां पूरी तरह से सुरक्षित हैं. वे शेख हसीना के शासन के मुकाबले अधिक सुरक्षित हैं. जो कुछ हो रहा है, वह एक बड़ी मात्रा में झूठा प्रचार है, जिसे भारत से फैलाया जा रहा है.” शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के अगस्त में सत्ता से बेदखल होने के बाद, बांगलादेश में मंदिरों पर हमले और हिंदू समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दमन की घटनाएं बढ़ गई हैं. हाल ही में तीन हिंदू पुजारियों की गिरफ्तारी के बाद बांगलादेश में अल्पसंख्यक समुदाय में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं.
हालांकि, आलम ने यह भी स्वीकार किया कि चिटगांव में एक मंदिर को निशाना बनाया गया था और पिछले हफ्ते तीन इस्कॉन केंद्रों पर हमले की कोशिश की गई थी. आलम ने कहा, “हमने इन स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी है. हम यहां हर बांगलादेशी के मानवाधिकार की रक्षा के लिए हैं, चाहे वह किसी भी लिंग, जाति, नस्ल या रंग का हो.” इस्कॉन को धार्मिक संगठन ही माना गया, इसे बैन करने की कोई योजना नहीं. आलम ने कहा कि अवामी लीग सरकार के कार्यकाल में हिंदू समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर अत्याचार हुए, लेकिन उस समय मीडिया में एक भी रिपोर्ट नहीं आई.
उन्होंने कहा, “क्योंकि यह शेख हसीना के समय में हुआ था, इस पर भारतीय मीडिया से एक भी रिपोर्ट नहीं आई. कोई भी डायस्पोरा समूह इस मुद्दे को नहीं उठा सका और ब्रिटिश संसद में भी इस पर कोई सवाल नहीं उठाया गया.” आलम ने इस्कॉन पर किसी भी तरह के दमन के आरोपों को नकारते हुए कहा कि सरकार ने इस्कॉन केंद्रों की सुरक्षा के लिए सैनिक भेजे थे. उन्होंने कहा, “हमने यह सुनिश्चित किया कि हिंदू दुर्गा पूजा मना सकें… क्या हमने इस्कॉन पर बैन लगा दिया? हम तो इस्कॉन मंदिरों की सुरक्षा के लिए सैनिक भेजे थे.”
यह उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह बांगलादेश के अटॉर्नी जनरल ने इस्कॉन को “कट्टरपंथी संगठन” करार दिया था, जब एक याचिका में इसे बैन करने की मांग की गई थी. हालांकि, अदालत ने इस्कॉन को बैन करने का आदेश नहीं दिया. इसके कुछ दिन बाद, अधिकारियों ने इस्कॉन से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया.
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