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    Bangladesh: आरक्षण के खिलाफ जमकर हो रही हिंसा, अब तक 32 की मौत

  • July 19, 2024

    ढाका (Dhaka)। बांग्लादेश (Bangladesh) में आरक्षण के खिलाफ हिंसा (Violence student protest against Reservation) जारी है और अब तक इस हिंसा में 32 लोगों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को बांग्लादेश (Bangladesh) में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ढाका स्थित सरकारी टीवी मुख्यालय (Government TV Headquarters) को आग लगा दी और मुख्यालय में खड़ी कई गाड़ियों को भी तबाह कर दिया। दरअसल एक दिन पहले यानी बुधवार को ही बांग्लादेश के सरकारी टीवी बीटीवी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) का इंटरव्यू लिया था। बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी आरक्षण को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं। शेख हसीना सरकार ने हिंसा को देखते हुए देश के सभी स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही हालात को काबू करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का निर्देश दिया है।


    क्या है बांग्लादेश हिंसा की वजह
    बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी। आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया।

    बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।

    शेख हसीना के इंटरव्यू के प्रसारण के बाद भड़की हिंसा
    बुधवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सरकारी टीवी बीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में लोगों से कानून व्यवस्था का पालन करने की अपील की और साथ ही प्रदर्शनकारियों की मौतों पर भी दुख जताया। प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनकारियों की मौतों की न्यायिक जांच कराने की बात कही, लेकिन इसके बावजूद बांग्लादेश में हिंसा जारी है और गुरुवार को हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए रबर की गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन इसने प्रदर्शनकारियों के गुस्से को और भड़का दिया। गुरुवार की ही हिंसा में 25 के करीब प्रदर्शनकारियों के मारे जाने की खबर है। मरने वालों में अधिकतर पुलिस की गोली का शिकार हुए हैं।

    हिंसा ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका समेत देश के कई शहरों को चपेट में ले लिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आरक्षण के चलते सिविल सेवाओं में उन लोगों के बच्चों का ज्यादा चयन होता है, जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। ये वर्ग आमतौर पर शेख हसीना सरकार का समर्थक माना जाता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इसी वजह से नौकरशाही में उन लोगों की अधिकता है, जो शेख हसीना सरकार के समर्थक हैं और इस तरह देश के अधिकतर संस्थानों पर सरकार समर्थक लोगों का कब्जा है।

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