नई दिल्ली: बांग्लादेश (Bangladesh) कथित तौर पर दक्षिण त्रिपुरा में मुहुरी नदी के पास एक और बांध का निर्माण कर रहा है, जिस के चलते राज्य में आसपास के कस्बों में बाढ़ की आशंकाएं पैदा हो गई हैं. ये घटनाक्रम भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ है. शनिवार (18 अप्रैल, 2025) को बेलोनिया से सीपीएम विधायक दीपांकर सेन ने इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने स्थानीय निवासियों के हवाले से बताया कि ये बांध लगभग 1.5 किलोमीटर लंबा और 20 फीट ऊंचा है. दीपांकर सेन ने कहा, “इंदिरा-मुजीब समझौते के मुताबिक, किसी भी देश को जीरो लाइन के 150 गज के भीतर कोई निर्माण करने की अनुमति नहीं है, लेकिन यह तटबंध 50 गज से भी कम दूरी पर और कुछ जगहों पर 10 गज से भी कम दूरी पर बनाया गया है. इस धारा के तहत बांग्लादेश की आपत्ति के कारण दक्षिण त्रिपुरा में कई जल लिफ्टिंग परियोजनाएं रोक दी गई थीं.”
सीएमओ के सूत्रों के हवाले से बताया कि वे इस मुद्दे पर रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जबकि स्थानीय पुलिस ने कहा कि वे घटनाक्रम की जांच करेंगे. एसपी साउथ त्रिपुरा मौर्य कृष्ण सी सेन ने कहा, “मामला हमारे संज्ञान में आया है और हम इसकी जांच कर रहे हैं. फिलहाल, चिंता की कोई बात नहीं है.” उन्होंने कहा कि बांग्लादेश लगातार संचालन के साथ हर दिन 10 ड्रेजर का इस्तेमाल कर रहा है.
भारत-बांग्लादेश सीमा पर बेलोनिया शहर के पास मुहुरी नदी के उत्तरी तट पर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र नगर और ईशान चंद्र नगर ग्राम पंचायतों में रहने वाले 500 से अधिक परिवारों को मानसून के दौरान बाढ़ का डर है. इस बांध के बनने से नदी का पानी रुक जाएगा और संभावित रूप से बेलोनिया शहर में बाढ़ आ सकती है. इस साल जनवरी में, सीएम माणिक साहा ने बांग्लादेश की ओर से उनाकोटी जिले के कैलाशहर में इसी तरह के बांध के निर्माण का मामला उठाया.
स्थानीय कांग्रेस विधायक बिरजीत सिन्हा ने विधानसभा में इस मामले को उठाया था और बाढ़ के जोखिम और बाहरी खतरों के बारे में भी बताया था. इसके बावजूद, बांग्लादेश ने निर्माण कार्य जारी रखा और इसकी वजह से भारत को मनु नदी में मानसून की बाढ़ को रोकने के लिए कैलाशहर के आसपास बांग्लादेश की ऊंचाई से अधिक बड़े बांधों के निर्माण के लिए एक परियोजना शुरू करनी पड़ी.
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