ढाका। लंबे समय से चीन की कोशिश भारत के पड़ोसी देशों में प्रमुख रक्षा निर्यातक देश के रूप में उभरने की रही है। इसके लिए वह हथियारों की आपूर्ति के साधन को सैन्य निर्भरता से बांधने की कोशिश (इंस्ट्रुमेंटम रेग्नि) में भी है, लेकिन उसका उत्पादन बहुत ही कम गुणवत्ता का है।
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि चीनी रक्षा आपूर्ति के साधन पश्चिमी मानकों के हिसाब से कम गुणवत्ता वाले होने के कारण चीन की योजना कमजोर पड़ रही है। हाल ही में बांग्लादेश की सेना ने चीन के उत्तरी उद्योग निगम (नोरिन्को) द्वारा टैंक, गोला-बारूद की आपूर्ति पर नाराजगी जताते हुए इसे परीक्षण न करने योग्य बताते हुए खारिज कर दिया।
चीन से मिले सैन्य आपूर्ति की गुणवत्ता से बांग्लादेश असंतुष्ट प्रतीत होता है। दरअसल, बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति के कारण उसे चीनियों की तरफ रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिसने पश्चिम के मुकाबले काफी सस्ते में आपूर्ति का वादा किया। इसके तहत ढाका ने नोरिन्को निर्मित (ज्यादातर कॉपी किए) हल्के हथियार, तोपखाने और बख्तरबंद वाहन लिए थे।
कई चीनी उपकरणों से असंतुष्टि
बांग्लादेश सरकार ने बख्तरबंद इकाइयों के लिए 2011 से 2020 के बीच चीन से कुल तीन अरब डॉलर के रक्षा उपकरण खरीदे। 2011 में उसने चीनी एमबीटी-2000 टैंक खरीदा जबकि हाल ही में उसने टाइप 69 बेड़े को संशोधित किया। उसने चीन निर्मित कई उपकरणों से अन्य हथियारों को बदला। लेकिन इनसे सेना असंतुष्ट है। उसने चाइना शिपबिल्डिंग और ऑफशोर इंटरनेशनल द्वारा मुहैया कराए गए रडार के प्रति भी असंतुष्टि जताई।
पारदर्शिता-जवाबदेही की कमी
इससे पहले, 2021 में एक रैंड कॉर्पोरेशन (अमेरिका स्थित थिंकटैंक) के अध्ययन ने स्पष्ट रूप से चीनी रक्षा अनुबंधों में एक कमी की ओर इशारा किया था, जिसमें कहा गया था कि पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है।
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