उज्जैन। शनिवार को कलेक्टर ने गंभीर डेम तथा शिप्रा नदी के पानी को पेयजल हेतु संरक्षित घोषित कर दिया। इसके बाद अब पीएचई जल्द ही पानी चोरी रोकने के लिए सर्चिंग दल गठित करेगा। शिप्रा नदी में भी अवैध मोटर पंप लगाकर पानी चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस साल अच्छी बारिश के चलते गंभीर डेम का जलस्तर पर्याप्त लेवल तक पहुंच गया था। अगस्त और सितंबर महीने में डेम में लगातार पानी की आवक के चलते कई बार डेम के गेट खोलकर सैकड़ों एमसीएफटी पानी बहाना पड़ा था। तभी से 2250 एमसीएफटी क्षमता वाले गंभीर डेम का लेवल 2100 एमसीएफटी के आसपास लेवल मेंटेंन किया जा रहा था। शिप्रा नदी में भी 15 सितंबर तक बारिश का सीजन गुजरने के बाद भी कई बार जलस्तर बढ़ा था और छोटा पुल करीब आधा दर्जन बार जलमग्न हुआ था। कल शाम कलेक्टर आशीष सिंह ने पेयजल संसाधनों की समीक्षा बैठक ली।
इसमें उन्होंने पीएचई द्वारा निगमायुक्त द्वारा गंभीर डेम तथा शिप्रा नदी के पानी को जन-साधारण को घरेलु प्रयोजन के लिये जल उपलब्ध कराने की दृष्टि से पेयजल परिरक्षण अधिनियम के तहत प्रावधानों के अनुसार घरेलु प्रयोजन के लिये गंभीर डेम एवं शिप्रा नदी के जल को संरक्षित घोषित करने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर कलेक्टर ने संरक्षित घोषित कर दिया। इसके बाद अब गंभीर डेम व शिप्रा नदी से लगे गांव केवल पेयजल के रूप में यहां के पानी का उपयोग कर सकेंगे। अन्य किसी प्रयोजन यथा सिंचाई एवं औद्योगिक प्रयोजन के उपयोग हेतु इसे कलेक्टर ने प्रतिबंधित कर दिया है। उन्होंने इस संबंध में आदेश जारी कर दिये हैं। इसके साथ ही कलेक्टर ने बांध तथा शिप्रा नदी से अवैध रूप से पानी चोरी रोकने के लिए पीएचई के अलावा राजस्व विभाग तथा विद्युत मंडल के दल गठित कर संयुक्त रूप से गंभीर जलाशय नदी पर चल रहे या चलने वाले अवैध पम्पों को जप्त करने की कार्यवाही के निर्देश भी दे दिए हैं।
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