नई दिल्ली: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने ऑनलाइन गैम्बलिंग पर प्रतिबंध के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अगुआई वाली कैबिनेट ने ये अध्यादेश पारित किया था. इस फैसले के बाद राज्य में तेजी से बढ़ रहे स्किल गेमिंग सेक्टर को झटका लगा है. मुख्यमंत्री ने इन पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया है कि ये ‘ऑनलाइन गेम ऑफ चांसेज’ है. इस अध्यादेश में अन्य ऑनलाइन गेम्स को भी रेग्युलेट करने की बात कही गई है.
अब राज्य में अगर कोई ये गेम्स खिलाता हुआ पाया जाता है तो उस पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना या 3 साल की जेल या दोनों हो सकती हैं. वहीं, जो लोग इन गेम्स में पैसा दांव पर लगाकर खेलते पाए जाएंगे उन्हें 5,000 का जुर्माना भरना पड़ सकता है. साथ ही उन्हें 3 महीने की जेल या जुर्माना और जेल दोनों एक साथ हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट में है मामला
बता दें कि इश मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी बहस चल रही है. यह सुनवाई तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर एक अपील अर्जी पर ही हो रही है. सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ अपील दायर की है. दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलानडु की पिछली सरकार द्वारा 2020 में ऑनलाइन गैम्बलिंग गेमिंग पर लगाए गए प्रतिबंध को निरस्त कर दिया था. कोर्ट ने 3 अगस्त 2021 में जारी किए गए आदेश में इसे गैर-कानूनी करार दिया था. इसी मामले में 9 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने स्किल बेस्ड कंपनियों जंगली गेम्स, प्ले गेम्स 24*7, हेड डिजिटल वर्क्स और ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में अपने जवाब दायर करने को कहा था.
क्या कहते हैं गेमिंग के पक्षकार
ई-गेमिंग फेडरेशन के सीईओ समीर बारडे कहते हैं कि रमी को गेम ऑफ चांस कहना है सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि रमी को सुप्रीम कोर्ट ने गेम ऑफ स्किल माना है और ये अनुच्छेद 19(1)जी के तहत संरक्षित है. वहीं, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन ने भी तमिलनाडु सरकार से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है क्योंकि इससे इस क्षेत्र में ओवरऑल बिजनेस पर असर पड़ेगा. गौरतलब है कि इन स्किल बेस गेम की दक्षिण भारत में काफी मांग है और लोगों तक इनकी पहुंच काफी अच्छी है.
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