जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच से प्रिंसिपल सीट हटाने के नोटिफिकेशन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ व जस्टिस पीके कौरव की युगलपीठ ने उक्त नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 2 मार्च को निर्धारित की है। उल्लेखनीय है कि यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव की ओर से दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि भारत के राष्ट्रपति ने 27 अक्टूबर 1956 को आदेश जारी कर जबलपुर पीठ को मप्र हाईकोर्ट की प्रिंसिपल सीट घोषित किया था।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने हाईकोर्ट नियम 2008 में किये गये संशोधनों का हवाला देकर 8 अक्टूबर 2021 को मप्र राजपत्र में नोटिफिकेशन जारी कर जबलपुर पीठ के आगे से प्रिंसिपल सीट शब्द विलोपित कर दिया है। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट प्रबंधन को राष्ट्रपति के आदेश को रद्द करने का अधिकार नहीं है। इसलिए उक्त नोटिफिकेशन अवैधानिक व अल्ट्रा वायरस है और भारत के संविधान के खिलाफ है। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट रजिस्ट्रार की ओर से पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि केवल एफीडेविट, अपील, पिटीशन व एप्लीकेशन में प्रिंसिपल सीट विलोपित किया गया है। हाईकोर्ट नियम 2008 के निमय 1 (3) चेप्टर 12 के अनुसार पूर्व के नियम 1961 में उल्लेखित सभी फाम्र्स यथावत रखे गये है, जो कि राष्ट्रपति के आदेश का उल्लंघन नहीं है। देश के अन्य हाईकोट्र्स में स्थायी बेंचों में भी उक्त दस्तावेजों में प्रिंसिपल सीट शब्द का उपयोग नही होता है। युगलपीठ ने शुक्रवार को याचिका की सुनवाई करते हुए नोटिफिकेशन पर स्थगन के आदेश जारी किये है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की।
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