जबलपुर/भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए राज्य लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) (State Public Service Commission (MP PSC)) की परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 27 फीसदी आरक्षण (27% OBC Reservation) पर रोक लगा दी है। इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार के साथ ही एमपी पीएससी को नोटिस जारी कर 14 की जगह 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने को लेकर जवाब तलब किया है। साथ ही एमपी पीएसकी की परीक्षा में केवल ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण देने के निर्देश दिए हैं।
बैतूल निवासी सामान्य वर्ग की छात्रा निहारिका त्रिपाठी ने एमपी पीएससी द्वारा 31 दिसम्बर को जारी मुख्य परीक्षा के परिणाम को एक याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा।
उन्होंने दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायदृष्टांतों के तहत किसी भी सूरत में आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से अधिक नहीं हो सकता। इसके बावजूद एमपी पीएससी द्वारा 31 दिसंबर, 2021 को पीएससी मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित करते हुए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया। इस वजह से ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ईडब्ल्यूएस का आरक्षण मिलाकर कुल प्रतिशत 73 पर पहुंच गया है। इससे सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ है।
उच्च न्यायालय ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश के साथ राज्य सरकार और एमपी पीएससी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। साथ ही एमपी पीएससी की आगामी परीक्षा में अगले आदेश तक 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 8 मार्च 2019 को विधि विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने के बाद राज्य में ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। इसके बाद से सभी प्रकार की भर्तियों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलने लगा। इसके अलावा राज्य में महिलाओं को 33 फीसदी, एससी को 16 और एसटी को 20 फीसदी के अलावा ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू है।
याचिकाकर्ता निहारिका त्रिपाठी के अधिवक्ता संघी ने बताया कि उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद अब एमपी पीएससी को नए सिरे से सूची जारी करनी होगी। इसके तहत मुख्य परीक्षा-2021 के ओबीसी उम्मीदवारों को 27 के बदले 14 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित करना होगा। इससे सामान्य सहित अन्य वर्ग के जो आवेदक पिछड़ गए थे, वे स्थान पा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पूर्व आदेशों में जो व्यवस्था दी है, उसके अनुसार आरक्षण का प्रतिशत किसी भी हालत में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन प्रदेश में यह सीमा पार हो गई, इसीलिए न्याय की मांग की गई। अदालत के आदेश से न्याय की उम्मीद जागी है। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved