नई दिल्ली: बालासोर ट्रेन हादसे (Balasore Train Accident) पर रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) की जिस रिपोर्ट का सबको इंतजार था, उसे रेलवे बोर्ड को सौंप दिया गया है. इस हादसे में 290 लोगों की जान चली गई और 1,000 से अधिक लोग घायल हो गए. सीआरएस की जांच रिपोर्ट में रेलवे स्टाफ के सदस्यों से पूछताछ की गवाही दर्ज है और इसमें हादसे की साइट और रेलवे के कामकाज से जुड़े विभिन्न पहलुओं की पड़ताल की गई है. हालांकि रेलवे अधिकारियों ने मौजूदा वक्त में चल रही सीबीआई (CBI) जांच का हवाला देते हुए रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से परहेज किया है.
सीआरएस की रिपोर्ट में साफ तौर से कहा गया है कि यह दुर्घटना टक्कर का मामला था. जिसमें कोरोमंडल एक्सप्रेस की स्पीडोमीटर रीडिंग अचानक जीरो हो गई थी. इस टक्कर में कोरोमंडल एक्सप्रेस के साथ ही एक चेन्नई-कोलकाता यात्री ट्रेन भी शामिल थी. कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास अप-लूप लाइन में घुस गई, जहां एक मालगाड़ी पहले से ही खड़ी थी. टक्कर के कारण बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी पटरी से उतर गई और उसके आखिरी कुछ डिब्बे दूसरे ट्रैक पर जा गिरे. सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘इस दुर्घटना के लिए एसएंडटी (सिग्नल और दूरसंचार) विभाग में कई स्तरों पर खामियां जिम्मेदार थीं.’
भारतीय रेलवे के इतिहास की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक बालासोर ट्रेन हादसे की जांच पहले रेल सुरक्षा आयुक्त (CRS) और फिर केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी गई थी. दक्षिण पूर्वी सर्किल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त एएम चौधरी को जांच का जिम्मा दिया गया. इस रिपोर्ट पर टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर एक रेलवे अधिकारी ने कहा कि ‘सीबीआई की चल रही एक और जांच के कारण हम सीआरएस रिपोर्ट पर टिप्पणी या खुलासा नहीं कर पाएंगे. सीबीआई रिपोर्ट के निष्कर्ष आने तक हम इस पर टिप्पणी करने पर भी विचार नहीं करेंगे.’ हालांकि सूत्रों ने कहा कि सीआरएस रिपोर्ट ने दुर्घटना के कारण पर भ्रम के बादल साफ कर दिए हैं और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
रेलवे सूत्रों ने संकेत दिया कि सिग्नल से पहले प्वाइंट/क्रॉसओवर की समस्या के कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन में घुस गई. कथित तौर पर सीआरएस ने इसकी पुष्टि की है. दुर्घटना के बाद लोको-पायलट और सहायक लोको-पायलट की गवाही के साथ-साथ पर्यवेक्षकों की संयुक्त रिपोर्ट को ध्यान में रखा गया. जिसमें कहा गया था कि प्वाइंट को उल्टा सेट किया गया था जबकि मुख्य लाइन के लिए सिग्नल हरा था. पटरी से उतरना दुर्घटना का प्रारंभिक कारण नहीं था और यह शुरुआत से ही बिल्कुल स्पष्ट था. रोलिंग स्टॉक या ट्रैक का भी हादसे से कोई लेना-देना नहीं था और रिपोर्ट में यह बात बिल्कुल साफ है. केवल सिग्नलिंग प्रणाली की खामियों के कारण ही ट्रेन को गलत सिग्नल मिला.
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