डेस्क। नवंबर के आखिरी हफ्ते में शादी और दिसंबर के पहले हफ्ते पकड़ ली अमेरिका की फ्लाइट. टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) के अपने मेडल के प्रति कुछ इतने टाइट फोकस थे भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia). शादी के बाद लोग हनीमून पर जाते हैं लेकिन बजरंग हिंदुस्तान को मेडल दिलाने की मुहिम में जुट गए.
महिला रेसलर संगीता फोगाट से 25 नवंबर को ब्याह रचाने के बाद बजरंग टोक्यो की तैयारियों को परखने के इरादे से दिसंबर के पहले हफ्ते में अपने कोच के साथ अमेरिका के लिए रवाना हो गए. उनके अमेरिका उड़ान भरने का एक ही मकसद था, वहां हो रही 25000 डॉलर की इनामी राशि वाली उस प्रतियोगिता में शिरकत करना, जिसमें दुनिया भर के 8 जाने माने पहलवान अपना दम दिखाने उतर रहे थे.
अमेरिका पहुंचने पर बजरंग ने पहले तो जबरदस्त ट्रेनिंग शुरू की. फिर उन्होंने उस टूर्नामेंट में शिरकत किया, जिसमें 70 केजी कैटेगरी तक के 8 पहलवान लड़ रहे थे. उस इवेंट के विजेता पहलवान को 25000 डॉलर, दूसरे नंबर वाले को 15 हजार डॉलर जबकि तीसरे स्थान पर रहने वाले को 10 हजार डॉलर मिले. बजरंग को इस प्रतियोगिता में शिरकत करने का फायदा अब टोक्यो ओलिंपिक में मिला है, जहां उन्होंने अपने बेहतरीन दांवों से भारत को मेडल दिलाया है.
सोनीपत में लगे कैंप में शुरू की ट्रेनिंग, अमेरिका में दी धार
ऐसा नहीं है कि बजरंग ने सिर्फ अमेरिका जाकर ही टोक्यो ओलिंपिक में मेडल जीतने की तैयारी की. बल्कि, उनकी ये ट्रेनिंग भारत के सोनीपत में लगे कैंप से ही शुरू हो गई थी. बजरंग ने अमेरिका में सोनीपत में की अपनी ट्रेनिंग को नई धार दी. वहां जो 25000 डॉलर वाली प्रतियोगिता हुई उसमें वो जेम्स ग्रीन जैसे वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पहलवान से लड़े, जिसका उन्हें फायदा मिला.
बजरंग ने जीता ब्रॉन्ज
टोक्यो ओलिंपिक की रेसलिंग मैट पर बजरंग पूनिया सेमीफाइनल में अजरबैजान के हाजी अलीयेव (Haji Aliyev) से हार गए. लेकिन इसके बाद ब्रॉन्ज मेडल वाला दंगल अपने नाम करते हुए उन्होंने एक मेडल भारत की झोली में डाल दिया. ऐसा करते हुए उन्होंने भारत के 135 करोड़ लोगों से जुड़ी जो उम्मीद थी, उस पर भी खरे उतरे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved